Varanasi: बसंत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों का उमड़ा जनसैलाब, प्रशासन अलर्ट
Kashi Vishwanath Temple Darshan: बसंत पंचमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु काशी विश्ननाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए पहुंच सकते हैं, ऐसे में भारी भीड़ के मद्देनजर वाराणसी प्रशासन ने खास तैयारियां की है.

Varanasi News Today: बसंत पंचमी के अवसर पर प्रयागराज महाकुंभ के स्नान के बाद काशी में भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है. वर्तमान समय में वाराणसी जिला प्रशासन के अनुसार 25 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी में मौजूद हैं.
काशी के विश्वनाथ मंदिर, गंगा घाट और अन्य धार्मिक स्थलों पर बसंत पंचमी के दौरान श्रद्धालु अधिक संख्या में पहुंच सकते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए वाराणसी जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन की तरफ से भीड़ को नियंत्रित करने के लिए खास तैयारियां की गई हैं.
मंदिर मार्ग पर रहेगी पैनी नजर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वाराणसी में बसंत पंचमी के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इसी क्रम में भीड़ को नियंत्रित करने और व्यवस्थित ढंग से सभी को धार्मिक स्थलों पर पहुंचने को लेकर प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है.
जनपद में तकरीबन 3 दर्जन से अधिक ऐसे पॉइंट बनाए गए हैं, जहां पर पुलिस बल को तैनाती करके भीड़ को नियंत्रित किया जाएगा. इसके अलावा मंदिर मार्ग से तकरीबन 2 किलोमीटर दूरी से वाहनों के आवागमन पर पूरी तरह रोक रहेगी. मंदिर मार्ग जाने वाले रास्तों पर बैरियर भी लगाए गए हैं.
इसके साथ एक निर्धारित मीटर की दूरी पर सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे जो श्रद्धालुओं के सहयोग के लिए तत्पर रहेंगे. प्रशासन और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने ग्राउंड पर उतरकर उन स्थलों का निरीक्षण भी किया जहां से श्रद्धालुओं का आवागमन हो रहा है.
दर्शन के लिए जिग जैग लाइन
प्रयागराज महाकुंभ से काशी पहुंचने वाले सबसे ज्यादा श्रद्धालु भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. इन दिनों 3 किलोमीटर लंबी कतार में लगकर भगवान विश्वनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं. इसी क्रम में मंदिर के अलग-अलग प्रवेश द्वार से उनकी एंट्री होगी.
साथ ही परिसर में जिग जैग लाइन के माध्यम से सभी बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर सकेंगे. इसके अलावा जनपद में श्रद्धालुओं के ठहरने, प्राथमिक चिकित्सा, शौचालय और खान-पान की भी व्यवस्था स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं और जिला प्रशासन की तरफ से की जा रही है.
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