Ganeshotsav 2024: देशभर में गणेशोत्सव की धूम है. इसी क्रम में वाराणसी के लोहटिया में भी स्वयंभू बड़ा गणेश मंदिर स्थापित है. मान्यता है कि यहां विराजे भगवान गणेश का दर्शन करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और दर्शनार्थी को सुख समृद्धि वैभव की प्राप्ति होती है. अनेक विशेष बातों के लिए इस हजारों साल प्राचीन मंदिर का महत्व है. मंदिर के गर्भगृह में विराजे भगवान गणेश की मूर्ति तकरीबन 5 फीट ऊंची है जिसमें त्रिनेत्र हैं. उनकी पूरी प्रतिमा सिंदूर के रंग से रंगी हुई है और मंदिर में यह अपने पूरे परिवार के साथ विराजे हैं. गर्भगृह के ठीक बाहर भगवान गणेश की सवारी के रूप में पहचाने जाने वाले मूषकराजा की भी मूर्ति है.


 काशी के साथ-साथ दूर दराज से श्रद्धालु वाराणसी के लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. यहां हर दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है. लेकिन विशेष तौर पर बुधवार के दिन कतार में लगकर श्रद्धालु बड़ा गणेश मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते दिखाई देते हैं.  इसके अलावा गणेश चतुर्थी के दिन भी भारी भीड़ रहती है. मंदिर परिसर के ठीक बाहर लड्डू, मोदक, फूल माला, दुब की दुकान लगी रहती है जहां से लोग भगवान बड़ा गणेश को अर्पित करने वाले इन पूजन सामग्री को भी खरीदते हैं.


काशी कोतवाल ने ली थी भगवान गणेश से इजाजत
काशी के धर्माचार्य विश्वकांताचार्य ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि काशी में अनेक प्राचीन मंदिर है, जिनका पौराणिक महत्व है. धर्मशास्त्र काशी खंड के अनुसार मध्य शहर में स्थापित अष्टविनायक में से एक श्री बड़ा गणेश मंदिर है और यह स्वयंभू मंदिर के रूप में पहचाना जाता है. यह मंदिर 40 खंभों पर स्थित है जो इस परिसर की सबसे अनोखी विशेषता है. कहा जाता है की काशी के रक्षक सेनापति काशी कोतवाल काल भैरव ने भगवान बड़ा गणेश से ही इजाजत लेकर काशी की सुरक्षा का दायित्व निभाना शुरू किया था.


मंदिर परिसर के ठीक बाहर लड्डू, मोदक, फूल माला, दुब की दुकान लगी रहती है.यह मंदिर काल भैरव और भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर मार्ग के ठीक पहले पड़ता है. इस मंदिर को विश्व भर में बड़ा गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है.


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