Gyanvapi Case Hearing Today: वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी (Gyanvapi) केस को लेकर किरन सिंह बिसेन की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट की ओर से कहा गया है कि यह याचिका सुनने योग्य है. सिविल जज सीनियर डिवीजन की ओऱ से आदेश दिया गया है. मामले की पोषणीयता को लेकर कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है. अब 2 दिसंबर को अब इस मुद्दे पर सुनवाई होगी कि पूजा की इजाजत मिले या नहीं.
ज्ञानवापी मामले में गुरुवार (17 नवंबर) की सुनवाई में सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के एप्लीकेशन को खारिज कर दिया. वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में ऑर्डर आना था जिसमें सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के एप्लीकेशन को खारिज करते हुए पोषणीयता पर सुनवाई जारी रखने का फैसला दिया है.
जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता सुलभ प्रकाश ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक अदालत, महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत ने किरन सिंह की तरफ से दाखिल वाद को सुनवाई के योग्य माना है. प्रकाश ने बताया कि हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि संपत्ति के अधिकार के तहत देवता को अपनी जायदाद पाने का मौलिक अधिकार है. इस पर अदालत ने यह कहते हुए मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज कर दी कि इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू नहीं होता है. ऐसे में यह वाद सुनवाई योग्य है.
गौरतलब है कि इस मामले में वादी किरन सिंह की तरफ से ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित करने, परिसर को हिंदुओं को सौंपने और कथित शिवलिंग के पूजा-पाठ एवं भोग की अनुमति मांगी गई थी. मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया ने वाद की विचारणीयता पर सवाल उठाए थे. मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत आता है लिहाजा इस पर सुनवाई न की जाए.
गौरतलब है कि सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी परिसर के वीडियोग्राफी सर्वे में पिछली मई में ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने से एक आकृति बरामद हुई थी. हिंदू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है जबकि मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताते हुए कहा था कि मुगलकालीन इमारतों में ऐसे फव्वारे मिलना आम बात है. मिली आकृति के आधार पर हिंदू पक्ष ने कहा था कि वह आदि विश्वेश्वर का विग्रह है लिहाजा ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों का प्रवेश बंद किया जाए और उस जगह को हिंदुओं को सौंपा जाए.
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