वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए वाराणसी की बीटेक छात्रा ने बॉर्डर एरिया में तैनात अपने जवानों की सुरक्षा के लिए रोबो हेलमेट बनाया है. ये हेलमेट दुश्मनों पर गोलियां भी दाग सकता है. इस हेलमेट को सिर पर पहनने के साथ जमीन पर भी चलाया जा सकता है. इतना ही नहीं ये रोबो हेलमेट पीछे से हमला करने वाले दुश्मनों से अपने जवानों को बचते हुए अलर्ट करता है और इसमें पीछे से गोली भी चल सकती है.


दुश्मनों पर निगाह
काशी की बेटी अंजली श्रीवास्तव ने सेना के जवानों की रक्षा के लिए रोबो हेलमेट बनाया है. देश की सुरक्षा में बॉर्डर पर तैनात सैनिकों की रक्षा के लिए ये हेलमेट बेहद खास है. वायरलेस टेक्नोलॉजी से लैस इस हेलमेट का एक वायरलेस फायर ट्रिगर है जो रेडियो फ्रिक्वेंसी की मदद से हेलमेट में लगे बैरल से जुडा होता है. इस ट्रिगर को किसी भी तरह की राइफल गन के ट्रिगर के पास लगाया जा सकता है.



की जा सकती है गोलीबारी
अगर धोखे से कोई दुश्मन पीछे से हमला करने की कोशिश करता है तो हेलमेट जवान को अलर्ट कर देता है जिससे समय रहते वायरलेस ट्रिगर की मदद से रोबो हेलमेट गन के पिछले हिस्से में लगे बैरल से फायर कर जवान अपना बचाव कर सकेंगे. इसके साथ ही इस वायरलेस रिमोट की मदद से इस रोबो हेलमेट को दुश्मन के एरिया में भी भेज कर गोलीबारी की जा सकती है.


क्या है हेलमेट की खासियत
रोबो हेलमेट का वजन काफी हल्का है. ये हेलमेट 360 डिग्री में चारों तरफ घूमकर दुश्मन को टार्गेट कर सकता है. इसे संचालित करने की रेंज प्रोटोटाइप में 50 मीटर के करीब है. हेलमेट में लगी गन की मारक क्षमता प्रोटोटाइप में 100 मीटर होगी. इस हेलमेट को बनाने में 15 दिन का समय लगा है और 7000 से 8000 रूपये का खर्च आया है. अभी ये एक मॉडल है और आगे सैन्य रक्षा के लिहाज से काफी उपयोगी हो सकता है.



सीमा पर हो रही घटनाओं से प्रेरित होकर बनाया हेलमेट
सीमा पर रोजाना हो रहे विवाद और दुश्मन की साजिश को देखते हुए अंजली के मन को प्रेरणा मिली और उन्होंने रोबोट हेलमेट का निर्माण किया. ये हेल्मेट न सिर्फ हमारे देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों की सुरक्षा करेगा बल्कि अगर कोई पीछे से वार करता है तो उसका भी जवाब देगा, जिससे सुरक्षा में तैनात सैनिकों की रक्षा हो सकेगी.


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