वाराणसी: शिवनगरी काशी में अब घाटों पर पूजा-आरती का टैक्स नहीं लगेगा. नगर निगम की ओर से घाट टैक्स लगाने के फैसले का कड़ा विरोध हुआ. जिसके चलते 24 घंटे के भीतर ही फैसले को बदलना पड़ गया और अब वाराणसी में गंगा घाट पर धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों के लिए किसी तरह का कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. उत्तर प्रदेश के संस्कृति और धर्मार्थ राज्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल और नगर आयुक्त गौरांग राठी से बात की और तत्काल प्रभाव से घाट टैक्स के फैसले पर रोक लगाने के निर्देश दिए.


पंडा समाज को चिंता करने की जरूरत नहीं : नीलकंठ तिवारी 


राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी ने कहा कि घाट पर कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज को भी अब चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उनसे किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि गंगा घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा-पाठ, धार्मिक कार्य और कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज के लोग अगर इच्छुक हैं, तो अपना रजिस्ट्रेशन कराएं, अन्यथा इसके लिए भी कोई बाध्यता नहीं है.


वाराणसी नगर निगम ने लिया था घाट टैक्स का निर्णय 


बता दें कि वाराणसी नगर निगम द्वारा गंगा घाटों पर गंगा आरती के लिए आयोजकों, परंपरागत तरीके से पूजा पाठ कराने और धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडो से वार्षिक शुल्क लिए जाने का फैसला लिया था. इस फैसले के तहत घाटों पर सांस्कृतिक आयोजनों के लिए प्रतिदिन चार हजार रुपये, धार्मिक आयोजन के लिए 500 रुपये और सामाजिक कार्य के लिए 200 रुपये का शुल्क तय किया गया था. ये शुल्क एक से 15 दिनों तक चलने वाले आयोजनों के लिए था. इसके अलावा 15 दिन से साल भर तक चलने वाले आयोजनों पर वार्षिक शुल्क के रूप में पांच हजार रुपये लेने का फैसला लिया गया था.


विरोध के बाद फैसले पर रोक


नगर निगम के इस फैसले के खिलाफ काशी के संत, पुरोहित समाज और राजनैतिक दलों ने भी आवाज उठाई. विरोध को बढ़ता देख 24 घंटे के भीतर ही इस फैसले को बदल दिया गया. संस्कृति एवं धर्मार्थ राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने मामले का संज्ञान लिया और तत्काल प्रभाव से इसपर रोक लगाने के निर्देश दिए.


यह भी पढ़ें:


यूपी: वाराणसी की मुस्लिम महिलाओं ने भेजी पीएम मोदी को राखी, 7 साल पुराना है नाता


क्या नहीं हो पाएगा राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन? रोक के लिये इलाहाबाद HC में याचिका दाखिल