Varanasi News: वाराणसी को धर्म की नगरी कहा जाता है. यहां अनेक ऐसे धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक आयोजन है जो दुनिया के कोने-कोने में बसे लोगों को भी खींच लाते हैं. इसी क्रम में बीते सालों से वाराणसी के धार्मिक पर्यटन को एक नई ऊंचाई मिली है और इसलिए लाखों की संख्या में काशी आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर भी वाराणसी पुलिस प्रशासन पर एक बड़ी जिम्मेदारी रहती है. इसी क्रम में वाराणसी का दिल कहे जाने वाले गोदौलिया क्षेत्र में पुलिस प्रशासन की सुल्तान, अलेक्जेंडर, सलीम नामक घोड़ो के साथ गश्त भी शहर की शान बढ़ाती नजर आ रही है.


वाराणसी का गदौलिया क्षेत्र बेहद व्यस्त माना जाता है. इस क्षेत्र में प्रमुख धार्मिक स्थल, आयोजन के साथ-साथ शहर का मुख्य बाजार भी स्थित है. प्राप्त जानकारी के अनुसार गश्त में शामिल रहने वाले घोड़े को 8-9 महीने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. अच्छी देखभाल के साथ-साथ उनके खान-पान में भी विशेष सतर्कता का ध्यान दिया जाता है.


इसके अलावा स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि प्रमुख आयोजन और त्योहार पर सुरक्षाकर्मियों के साथ सुल्तान, अलेक्जेंडर गश्त लगाते हैं, वह सबसे पहले भगवान शंकर के सबसे बड़े धाम काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर शीश नवाते हैं. 


प्रमुख त्योहार और आयोजन पर रहती है अहम भूमिका 
वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट की तरफ से एबीपी लाइव को मिली जानकारी के अनुसार काशी आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए प्रशासन हमेशा तत्पर है. वहीं वाराणसी का गोदौलिया, चौक, बुलानाला, मदनपुरा क्षेत्र बेहद व्यस्त माना जाता है. इन्हीं इलाकों से विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ धाम और गंगा आरती मार्ग भी निर्धारित है और यह बेहद संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है.


वहीं महाशिवरात्रि, सावन और प्रमुख आयोजनों पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसे में प्रमुख तिथियों और आयोजन पर सुरक्षा व्यवस्था की देखरेख के लिए इन क्षेत्रों में घोड़ो के साथ गश्त भी होती है. गश्त में शामिल घोड़ो का नाम सुल्तान, सलीम, अलेक्जेंडर आदि पुराने शासको पर आधारित है. 


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