UP News: वाराणसी में ज्ञानवापी मामले को लेकर 250-300 संतो की बैठक हुई. इन संतों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) द्वारा ज्ञानवापी मामले में दिए गए बयान पर आपत्ति जताई है. इस बैठक में संत समाज ने कहा कि AIMPLB का बयान मुस्लिम समाज को भड़काने वाला बयान है. इसके साथ ही संत समिति ने कहा कि ज्ञानवापी के पूरे परिसर को हिन्दुओं कों सौंपा जाए. 


वहीं इस बैठक में कहा गया कि अगर नहीं सौंपा गया तों हम संवैधानिक तरीके से ज्ञानवापी लेंगे. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा AIMPLB ने गैरजिम्मेदार की तरह दिया है. यह देश संविधान से चलेगा, हमने राम जन्मभूमि संविधान के जरिए ली है और ज्ञानवापी भी ऐसे ही लेंगे. AIMPLB इस तरह के बयान देने से बचे. 


कोर्ट ने जल्दबाजी में फैसला किया- AIMPLB 


बता दें कि ज्ञानवापी मामले को लेकर को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि अगर मुसलमानों की ये सोच होती कि हमें सभी मंदिरों को तोड़ देना है, तो मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं बचते. इसके साथ ही AIMPLB ने कहा कि कोर्ट ने जल्दबाजी में फैसला किया और इस मामले में दूसरे पक्ष को बहस का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट का काम आस्था पर फैसला करना नहीं है, दलील के हिसाब से इंसाफ किया जाता है.


इंसाफ का एक ही पैमाना होना चाहिए


वहीं AIMPLB ने कहा था कि 1991 का कानून अहम कानून है, इस कानून की सहायता से झगड़े बंद किया जा सकता है. इस कानून पर अगर मुल्क में इमानदारी से फैसला नहीं लाया जाएगा तो देश में दंगे शुरु हो जाएंगे. इंसाफ का एक ही पैमाना होना चाहिए, अगर इससे भरोसा लोगों का उठ जाए तो ये देश के लिए ठीक नहीं है.


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