Gyanvapi Masjid News: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने शनिवार को दावा किया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण उस स्थान पर एक ‘‘भव्य मंदिर’’ को ध्वस्त करने के बाद किया गया था तथा मांग की कि ढांचे को हिंदू मंदिर घोषित किया जाए और समुदाय को सौंप दिया जाए. उन्होंने यह भी मांग की कि हिंदुओं को विवादित स्थल पर ‘‘तथाकथित वजूखाना क्षेत्र’’ में पाए गए शिवलिंग की सेवा पूजा करने की अनुमति दी जाए.
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक बयान में कहा, ‘‘एएसआई द्वारा जुटाए गए सबूत और निष्कर्ष यह साबित करते हैं कि इस पूजा स्थल का धार्मिक स्वरूप 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था और वर्तमान में यह एक हिंदू मंदिर है.’’ उन्होंने यह भी मांग की, ‘‘इस प्रकार, उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा चार के अनुसार भी, ढांचे को हिंदू मंदिर घोषित किया जाना चाहिए.’’
इंतेजामिया समिति से अपील
विहिप ने मस्जिद का प्रबंधन करने वाली इंतेजामिया समिति से भी आह्वान किया कि वह ज्ञानवापी मस्जिद को ‘‘सम्मानपूर्वक किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित’’ करने और काशी विश्वनाथ के मूल स्थल को हिंदू समाज को सौंपने पर सहमत हो. कुमार ने कहा, ‘‘विहिप का मानना है कि यह नेक कार्रवाई भारत के दो प्रमुख समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी.’’
विहिप की मांगें दो दिन पहले ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद आईं, जिसमें हिंदू वादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दावा किया था कि मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था. कुमार ने कहा, ‘‘ज्ञानवापी ढांचा हिंदुओं को सौंप दिया जाए.’’ उन्होंने दावा किया कि एएसआई द्वारा एकत्र किए गए सबूत ‘‘इस बात की पुष्टि करते हैं कि मस्जिद का निर्माण एक भव्य मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था.’’
उन्होंने दावा किया कि मंदिर के ढांचे का एक हिस्सा, विशेष रूप से पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है. कुमार ने दावा किया, ‘‘वजूखाना में मौजूद शिवलिंग से इसको लेकर कोई संदेह नहीं है कि इस ढांचे का स्वरूप मस्जिद का नहीं है. ढांचे में पाए गए शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर के नामों की खोज इसके मंदिर होने का स्पष्ट प्रमाण है.’’