Gyanvapi Case: सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी जिला प्रशासन को ज्ञानवापी परिसर के सील वाजु खाने में साफ सफाई करने का दिशा निर्देश दिया. जिला प्रशासन ने 18 जनवरी को दोनों पक्षों की बैठक में यह निर्णय लिया कि 20 जनवरी को सुबह 9:00 बजे से 11:00 तक सील वजूखाने की साफ सफाई की जाएगी और इस पर दोनों पक्ष ने सहमति भी जताई.
सुरक्षा पुख्ता करने के साथ-साथ परिसर पहुंचें पक्षकार, अधिवक्ता और सफाई कर्मचारी भी
ज्ञानवापी के निर्धारित क्षेत्र को मुस्लिम पक्ष वजू खाना मानता है तो वहीं इसी क्षेत्र पर हिंदू पक्ष शिवलिंग होने का दावा कर रहा है. न्यायालय आदेश के बाद बीते डेढ़ सालों से अधिक समय से यह क्षेत्र पूरी तरह सील है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज सुबह 9:00 से 11:00 तक इसमें साफ सफाई की जा रही है.
दोनों पक्षों की बैठक में बनी सहमति
साफ सफाई मामले को लेकर ज्ञानवापी पहुंचे हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बातचीत में बताया कि 18 जनवरी को वाराणसी जिला प्रशासन के अंतर्गत सभी पक्षकारों, अधिवक्ताओं की मौजूदगी में यह निर्णय लिया गया था कि 20 जनवरी को सुबह 9:00 से 11:00 बजे तक ज्ञानवापी के सील वजू खाने परिसर की साफ सफाई होगी. पंप मशीन से लेकर पुरे सील परिसर की गंदगी को साफ किया जाएगा. इसके अलावा मृत मछलियों को मत्स्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा हटाया जाएगा. जो जीवित मछलियां होंगी मुस्लिम पक्ष की मांग पर उन्हें सौंप दिया जाएगा. इस मामले पर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष ने आपसी सहमति जताई है.
ज्ञानवापी परिसर के बाहर बढ़ी सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार और जिला प्रशासन की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार निर्धारित समय से पहले नगर निगम के कर्मचारी, मत्स्य विभाग के कर्मचारी जिला प्रशासन के अधिकारी, पक्षकार व दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं का पहुंचना शुरू हो गया. इस दौरान ज्ञानवापी परिसर के बाहर की सुरक्षा व्यवस्था को और बढ़ा दिया गया. ऐसे में आज होने वाले 2 घंटे की साफ सफाई को लेकर शहर में हलचल इसलिए भी तेज है कि कहीं इस सील वजूखाने से भी कुछ अन्य साक्ष्य व प्रमाण मिलने का दावा किया जा सकता है.
दिसंबर महीने में अंजुमन इंतजामियां मसाजिद की तरफ से वाराणसी जिला प्रशासन को एक पत्र लिखा गया था जिसमें ज्ञानवापी परिसर के सील वजू खाने में मृतक मछलियों को हटाने और साफ सफाई करने का निवेदन शामिल था. इसके बाद नव वर्ष जनवरी माह में हिंदू पक्ष की तरफ से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था.