महाकुंभ आयोजन तक काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन पर रहेगी रोक, जानें क्यों लिया ये फैसला
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के दौरान तकरीबन 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के वाराणसी आने का अनुमान लगाया गया है, इस अवसर पर अधिकांश श्रद्धालु बाबा का दर्शन प्राप्त करने के लिए मंदिर परिसर आएंगे.
Varanasi News: काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की हार्दिक इच्छा होती है कि वह बाबा का स्पर्श दर्शन प्राप्त करें. ऐसे में कई बार स्पर्श दर्शन की वजह से बाबा के गर्भगृह में अचानक भीड़ बढ़ जाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से नए वर्ष पर निर्धारित समय के लिए बाबा के स्पर्श दर्शन पर रोक लगाई गई थी. अब मंदिर प्रशासन ने इसे महाकुंभ आयोजन तक बढ़ाने का निर्णय लिया है.
महाकुंभ आयोजन तक बाबा के स्पर्श पर रहेगी रोक
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा की तरफ से एबीपी लाइव को मिली जानकारी के अनुसार - सभी श्रद्धालुओं के सुलभ दर्शन को उपलब्ध कराने के लिए मंदिर प्रशासन हमेशा तत्पर है. इसी को ध्यान में रखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित बाबा के गर्भगृह में किसी भी प्रकार की भीड़ अनियंत्रित ना हो इसलिए बाबा के स्पर्श दर्शन पर महाकुंभ आयोजन तक रोक रहेगी. इससे पहले नए साल के अवसर पर भी भारी संख्या में लोगों के आने की संभावना जताई गई थी. इसीलिए नए साल पर भी बाबा के स्पर्श दर्शन पर रोक रही.
वहीं प्रयागराज महाकुंभ के दौरान तकरीबन 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के वाराणसी आने का अनुमान लगाया गया है, इस अवसर पर अधिकांश श्रद्धालु बाबा का दर्शन प्राप्त करने के लिए मंदिर परिसर आएंगे. उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो इसलिए मंदिर प्रशासन ने अपनी सभी तैयारियां को लगभग पूरा कर लिया है.
नए साल पर काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे 12.5 लाख श्रद्धालु
काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार 31 दिसंबर को 507321 श्रद्धालुओं ने बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन प्राप्त किया. वहीं साल 2025 के प्रथम दिन 1 जनवरी को 743699 श्रद्धालुओं ने भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करके अपने नव वर्ष की शुरुआत की. 31 दिसंबर और 1 जनवरी दोनों दिन मिलाकर कुल 1251020 श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर एक नया कीर्तिमान बनाया. बीते महीनों की तुलना में एक दिन में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की यह संख्या सर्वाधिक रही.