वाराणसी, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव के 7वें और अंतिम चरण के लिए आज मतदान हो रहा है। उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो इस दौर में लोकसभा की 13 सीटों पर वोटिंग हो रही है। ये सभी पूर्वांचल के हिस्से में आती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में भी इसी दौर में मतदान हो रहा है। देश को प्रधानमंत्री देनेवाली इस सीट पर क्या बदला है, क्या नहीं। पढ़िये ये रिपोर्ट।


देश की सबसे हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट वाराणसी से सांसद देश के पीएम नरेंद्र दामोदार दास मोदी हैं। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने यहां से चुनाव लड़ने का ऐलान करके सबको चौंका दिया था। नरेंद्र मोदी ने यहां रिकार्ड मतों से जीत दर्ज कर की थी। देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले वाराणसी में तकरीबन 18 लाख 32 हजार मतदाता हैं, जिनमें लगभग 82 प्रतिशत हिंदू, 16 प्रतिशत मुसलमान हैं, हिंदुओं में 12 फीसदी अनुसूचित जाति और एक बड़ा तबका पिछड़ी जाति से संबंध रखने वाले मतदाताओं का भी है।


साल 2014 से पहले यहां विकास के कामों की गति धीमी थी लेकिन केंद्र में सरकार बनने के बाद से अब तक बनारस के लिए तकरीबन 315 बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हुईं हैं, जिनमें से अब तक लगभग 279 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी है। विकास के पथ पर चल रहा ये शहर स्वच्छ और सुंदर दिखने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है।


चुनावी मैदान में मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले प्रत्याशी


इस बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन करके चुनावी मैदान में हैं। गठबंधन ने शालिनी यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर से पूर्व प्रत्याशी अजय राय पर अपना भरोसा जताया है।


वाराणसी क्या खास हैं
मोक्षदायिनी और शिवनगरी काशी केवल आस्था का केंद्र ही नहीं है बल्कि मंदिरों का ये शहर शिक्षा और बनारसी साड़ी के लिए पूरे विश्व में एक अलग पहचान रखता है, इसी का नतीजा है कि अस्सी घाटों से सजे इस शहर के दर्शन के लिए विदेशी सैलानी भारी संख्या में यहां आते हैं और इसी कारण मोदी ने पीएम बनने के बाद काशी को क्यूोटो बनाने की बात कही थी। चार साल में पीएम मोदी ने बतौर सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने अपनी सांसद निधि का पैसा पानी के प्रबंधन, सुचारू बिजली आपूर्ति, बेहतर सड़कों और दिव्यांगों के कल्याण पर खर्च किया है। पीएम के सांसद निधि के खाते में इस समय केवल पांच लाख रुपये हैं।


वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास


जहां तक इस सीट के इतिहास की बात है तो वो भी काफी दिलचस्प है, साल 1991 से लगातार लोकसभा चुनावों में यहां से भाजपा जीतती आ रही है, यहां से एक बार शिरीष चंद्र दीक्षित, तीन बार शंकर प्रसाद जायसवाल, एक बार डॉ. मुरली मनोहर जोशी और पिछले चुनावों में नरेंद्र मोदी ने जीत दर्ज की है, जबकि 1991 से पहले यहां कांग्रेस का राज रहता था। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने यहां पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल 3,71,784 वोटों के अंतर से हराया था, नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे, दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे और वो अपनी ज़मानत भी नहीं बचा पाए थे। यूपी में इस वक्त भाजपा का राज है। ऐसे में एक बार फिर से 'घर-घर मोदी और हर-हर मोदी' का नारा काम कर पाएगा या नहीं ये तो लोकसभा चुनाव परिणाम बताएंगे लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि काशी के विकास मैप का रिजल्ट ही मोदी और भाजपा दोनों का भविष्य तय करेगा, देखते हैं कि काशी की जनता एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को पीएम बनवाती है या नहीं।