वाराणसी मदनपुरा शिव मंदिर केस: आज मदनपुरा जाएगा काशी विद्वत परिषद का एक प्रतिनिध मंडल, हिंदू संगठनों ने की पूजा-पाठ की मांग
UP News: काशी विद्वत परिषद द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि गुरुवार के दिन संगठन का एक प्रतिनिधि मंडल मदनपुरा में मिले प्राचीन शिव मंदिर स्थल पर पहुंचेगा. हिंदू पक्ष ने की पूजा-पाठ की मांग.
Varanasi Mandir News: वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में मिले प्राचीन शिव मंदिर को लेकर अब हिंदू संगठन की तरफ से नियमित पूजा पाठ की मांग को और तेज कर दिया गया है. हालांकि इस मामले पर वाराणसी के स्थानीय प्रशासन द्वारा अगले तीन से चार दिन में जांच के बाद ही मामले के निष्कर्ष को लेकर आश्वस्त किया गया है.
अब इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि अगर यहां पर नियमित पूजा पाठ शुरू होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. मंदिर में कौन पुजारी होगा. इस मामले पर हिंदू संगठन से जुड़ा काशी विद्वत परिषद आगे आया है और उसकी तरफ से कहा गया है कि - अगर आवश्यकता होगी तो काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक भी यहां पूजा पाठ कर सकते हैं.
वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में मिले प्राचीन शिव मंदिर को लेकर अब इस बात की चर्चा तेज है कि अगर वहां पर पूजा पाठ की इजाजत मिलती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. ऐसे में काशी विद्वत परिषद ने स्पष्ट किया है कि देश में कई ऐसे हिंदू धार्मिक स्थल हैं जहां पर आपसी विचारों की सहमति सहयोग के साथ वहां पर पुजारी और देखरेख की व्यवस्था तय होती है.
इसलिए निश्चित ही जैसे ही यहां पर पूजा पाठ शुरू होगा, काशी विद्वत परिषद स्वयं सभी व्यवस्थाओं को तय करने के लिए आगे आएगा. अगर आवश्यकता पड़ी तो यहां की व्यवस्था प्रशासन द्वारा तय होने के बाद कोई भी धार्मिक स्थल, काशी विश्वनाथ मंदिर के भी अर्चक यहां पूजा पाठ कर सकते हैं. ऐसे में अब इंतजार इस बात का है कि अगले तीन-चार दिनों में प्रशासन इस मामले में किस निष्कर्ष पर पहुंचता है.
आज मदनपुरा शिव मंदिर पहुंचेगा काशी विद्वत परिषद
अब इस मामले में काशी विद्वत परिषद द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि गुरुवार के दिन संगठन का एक प्रतिनिधि मंडल मदनपुरा में मिले प्राचीन शिव मंदिर स्थल पर पहुंचेगा. वहीं दूसरी तरफ़ अब वाराणसी से जुड़े इस मामले को लेकर हलचल और तेज हो चुकी है. प्रशासन द्वारा भी लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की जा रही हैं. इस मामले में दूसरे पक्ष का यह कहना है कि यह पूरी संपत्ति हमारे पूर्वजों की है जो तकरीबन 100 सालों से है. हमें किसी के भी पूजा पाठ से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन नई परंपरा को शुरू करने के पक्ष में हम नहीं हैं.
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