Varanasi News: काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट का होगा कायाकल्प, जलासेन से सिंधिया घाट तक बनेगा कॉरीडोर
Manikarnika Ghat Renovation: मणिकर्णिका घाट को विकसित किए जाने के लिए जो परियोजना तैयार की गई है इसके तहत मणिकर्णिका से लेकर जलासेन और सिंधिया घाट तक का पूरा परिसर विकसित किया जाएगा.
Manikarnika Ghat Varanasi News: काशी विश्वनाथ कॉरीडोर (Kashi Vishwanath) बनने के बाद अब वाराणसी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) का कायाकल्प करने की तैयारी की जा रही है. इसके तहत मणिकर्णिका घाट को जलासेन घाट से सिंधिया घाट तक के पूरे कॉरीडोर को विकसित किए जाने का प्रस्ताव है. नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (National Mission For Clean Ganga) ने मणिकर्णिका घाट को विकसित करने के लिए मंजूरी दे दी है. 17 करोड़ रुपये की लागत से इस परियोजना को पूरा किया जाएगा.
मणिकर्णिका घाट को विकसित किए जाने के लिए जो परियोजना तैयार की गई है इसके तहत मणिकर्णिका से लेकर जलासेन और सिंधिया घाट तक का पूरा परिसर विकसित किया जाएगा. इसके अलावा घाट से लेकर मंदिर तक की तमाम जगहों के व्यवस्थित किया जाएगा. इसके अलावा यहां पर जो लकड़ी का टाल है उसे हटाकर एक एंपोरियम बनाया जाएगा, ये इंपोरियम वैसा ही होगा जैसा काशी विश्वनाथ धाम में बनाया गया है. इसमें सभी दुकानें सुव्यवस्थित तरीके से होगीं ताकि घाट किसी तरह से अव्यवस्थित न दिखाई दे.
तीन हिस्सों में होगा कायाकल्प
मणिकर्णिका घाट को विकसित किए जाने की परियोजना के तहत यहां एक स्मार्ट कंट्रोल रूम बनाने का प्लान हैं. ये कंट्रोल रूम नगर निगम के कंट्रोल सिस्टम से सीधा जोड़ा जाएगा. इस सिस्टम के जरिए पूरे परिसर पर जिला प्रशासन, नगर निगम और दमकल विभाग की निगरानी रहेगी. मणिकर्णिका घाट को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा. पहले हिस्से में विजिटर ब्लॉक होगा. यहां जनसुविधाओं के लिए शौचालय, स्नानगृह और विश्राम कक्ष होगा. दूसरे भाग में शवदाह गृह बनाए जाएंगे. तीसरे भाग में दत्तात्रेय पादुका से तारकेश्वर महादेव मंदिर तक के परिसर को संवारा जाएगा.
मणिकर्णिका घाट को लेकर मान्यता
वाराणसी में गंगा नदी के किनारे बना मणिकर्णिका घाट एक प्रसिद्ध घाट है. मान्यता है कि यहां पर माता पार्वती जी का कर्ण फूल एक कुंड में गिर गया था, जिसे भगवान शंकर जी ने ढूंढा था, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया. इसके अलावा एक मान्यता ये भई है कि भगवान शंकर ने यहां माता सती जी के पार्थिव शरीर का अग्नि संस्कार किया था, जिस वजह से आज इसे महाशमशान भी कहते हैं.
ये भी पढ़ें- UP Politics: मंत्री रामदास अठावले का दावा- 'सपा में हो सकती है फूट, BJP के साथ आ सकते हैं जयंत चौधरी'