Mahashivratri Varanasi:  काशी यानी वाराणसी को भगवान भोले की नगरी कहा जाता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी के विश्वनाथ मंदिर सहित सभी शिवलिंग पर सप्ताह पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है. इस क्रम में काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से महाशिवरात्रि को भव्य स्तर पर मनाने की तैयारी की गई है. 8 मार्च से लेकर 9 मार्च तक नॉनस्टॉप 36 घंटे लाइव टेलीकास्ट प्रसारण की तैयारी की गई है. जिसमें श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर से बाबा का दर्शन और मंदिर की झांकी लोग देख सकेंगे.


वाराणसी के प्रमुख जगहों पर लगेगी एलईडी स्क्रीन
काशी विश्वनाथ मंदिर में इस बार महाशिवरात्रि पर एक अनुमान के मुताबिक 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच सकते हैं. मंदिर प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं के सुगम दर्शन और उनके मूलभूत सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है. श्रद्धालुओं की किसी तरह की दिक्कत ना हो इसके लिए शहर के प्रमुख स्थल जैसे वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन, गोदौलिया चौराहा, अस्सी घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट सहित प्रमुख स्थलों पर बड़े एलईडी स्क्रीन लगाए जायेंगे.


इसके जरिए 8 मार्च से लेकर 9 मार्च तक मंगला आरती से भोग आरती तक के सभी प्रमुख कार्यक्रम से लोग सीधे जुड़ सकेंगे.  इस बार काशी विश्वनाथ मंदिर में मौजूद सभी शिवलिंग और विग्रह का भी रुद्राभिषेक किया जाएगा. काशी विश्वनाथ मंदिर में मां अन्नपूर्णा द्वार, गंगा द्वार और ज्ञानवापी गेट नंबर 4 द्वार से श्रद्धालुओं का प्रवेश होगा. इसके अलावा श्रद्धालुओं को आने जाने में किसी तरह की परेशानी ना हो उसके लिए बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है जिसके जरिए श्रद्धालु कतार में लगकर मंदिर परिसर तक पहुंचेंगे.


देश दुनिया के शिव भक्त जुड़ सकेंगे काशी से
8 मार्च से 9 मार्च तक चलने वाले 36 घंटे नॉनस्टॉप लाइव टेलीकास्ट से देश दुनिया के शिव भक्त सीधा काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ सकेंगे. इसके माध्यम से काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाले महाशिवरात्रि पर पूजन कार्य में घर बैठे साक्षी बनने का श्रद्धालुओं को अवसर प्राप्त होगा. काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से इस बार यह व्यवस्था की गई है. ऐसे में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने का अनुमान लगाया गया और इसको लेकर मंदिर प्रशासन की तरफ से अपनी तैयारियों को पूरा कर लिया गया है.


और पढ़ें-


बाबा Kashi Vishwanath को लगेगी भगवान राम की अयोध्या वाली हल्दी, 6 मार्च को निभाई जाएगी काशी की यह प्राचीन परंपरा