Varanasi: MP-MLA कोर्ट से फरार घोषित हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई संत, 'प्रतिकार यात्रा' से जुड़ा है मामला
प्रतिकार यात्रा में हुए बवाल के मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को फरार घोषित किया गया है. वाराणसी की एमपी-एमलए कोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद समेत 25 लोगों को फरार घोषित किया है.
UP News: वाराणसी (Varanasi) में एमपी-एमएलए कोर्ट ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) समेत कई साधु-संतों को फरार घोषित कर दिया है. कोर्ट ने उनकी संपत्ति कुर्क करने का निर्देश जारी किया है. यह मामला सात साल पहले आयोजित 'प्रतिकार यात्रा' (Pratikar Yatra) में हुए बवाल से संबंधित है. इसी मामले में फरार घोषित किया गया है. एमपी-एमएलए कोर्ट के जज सियाराम चौरसिया ने प्रतिकार यात्रा में हुए बवाल के मामले में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, महंत संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर बाबा बालक दास समेत 25 लोगों को फरार घोषित किया है. कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह इस मामले में विभागीय कार्रवाई की रिपोर्ट काशी जोन के एडीसीपी राजेश कुमार पांडेय की कोर्ट में पेश करे.
पट्टाभिषेक पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य रहे स्वामी स्वरूपानंद के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पट्टाभिषेक पर कोर्ट ने लगा दी थी. अविमुक्तेश्वरानंद का पट्टाभिषेक 17 अक्टूबर को होने वाला था. स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी घोषित किए गए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को शंकराचार्य होने का दावा किया था. इसके खिलाफ स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई थी जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था.
स्वरूपानंद सरस्वती और वासुदेवानंद सरस्वती के बीच ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य होने को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. इन दोनों का विवाद जब इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने स्वरूपानंद सरस्वती और वासुदेवानंद सरस्वती दोनों के ही दावे को खारिज कर दिया था. 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था.
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