Varanasi News: वाराणसी पर्यटन स्थल, रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा का बड़ा केंद्र है. रोजाना हजारों लाखों की संख्या में यात्री वाराणसी स्थित रेलवे स्टेशन से दूसरे शहरों के लिए आवागमन करते हैं. बीते वर्षों में वाराणसी रेलवे स्टेशन की सुविधाओं में एक सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिला है. लेकिन इसी बीच रेलवे स्टेशन में एक समानांतर कोड की वजह से यात्रियों में हमेशा असमंजस की स्थिति रहती है. जिसकी वजह से रोजाना दर्जनों की संख्या में यात्रियों का ट्रेन छूट जाता है. विशेष तौर पर वाराणसी के बनारस रेलवे स्टेशन और कैंट रेलवे स्टेशन में यह स्थिति बनी रहती है.



दरअसल वाराणसी में प्रमुख चार रेलवे स्टेशन है जिनका नाम क्रमशः वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन, बनारस रेलवे स्टेशन, काशी स्टेशन, वाराणसी सिटी स्टेशन निर्धारित है. हालांकि बड़े शहरों और महानगरों के लिए सबसे ज्यादा ट्रेन वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन और बनारस रेलवे स्टेशन से रवाना होती है. और इन्हीं दोनों स्टेशन के नाम पर यात्रियों में अक्सर दुविधा की स्थिति रहती है.  इतना ही नहीं लगभग हर दिन दर्जनों की संख्या में दक्षिण भारत, महाराष्ट्र जाने वाले यात्रियों की ट्रेन भी छूट जाती है. क्योंकि  वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से ही ज्यादातर ट्रेन बड़े शहरों के लिए रवाना होती थी.

दोनों स्टेशन में एक अल्फाबेट का अंतर
जुलाई 2021 में बनारस रेलवे स्टेशन जिसका पुराना नाम मंडुआडीह स्टेशन था. उसको मॉडल स्टेशन के रूप में विकसित किया गया. परिणाम स्वरूप अब बड़े शहरों के लिए जाने वाली ट्रेन यहां से भी गुजरने लगी.  इन दोनों स्टेशन के कोड की बात कर ले तो वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन का कोड BSB है. जबकि बनारस रेलवे स्टेशन का BSBS है. हालांकि सबसे ज्यादा दुविधा की स्थिति भी इसलिए बनती है क्योंकि ज्यादातर यात्री शहर को बनारस या वाराणसी ( जनपद का एक नाम ) से ही पहचानते हैं और  दोनों स्टेशनों के कोड में मात्र एक ही  अल्फाबेट का अंतर देखा जाता है.

वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन और बनारस रेलवे स्टेशन में तकरीबन तीन से चार किलोमीटर का अंतर है. लगभग हर दिन अंतिम मौके पर दर्ज़नों यात्रियों को पता चलता है कि उनकी ट्रेन वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से न जाकर बनारस रेलवे स्टेशन से चलेगी. इस दौरान आनन फानन  में यात्री वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 1 से निकलकर बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं. इस दौरान वाराणसी से दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली के लिए जाने वाली ट्रेन कई बार यात्रियों से छूट जाती है. ऐसे में यात्रियों का मानना है कि  एक यूनिक कोड लागू किया जाए.


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