काशी विश्वनाथ मंदिर में मनाया गया नंदीश्वर उत्सव, विधि-विधान से हुई भगवान नंदी की पूजा
UP News: वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में पहली बार प्रदोष तिथि पर श्री नंदीश्वर उत्सव का आयोजन किया गया है. इस दौरान मंदिर परिसर में रखी नंदी की मूर्ति का विधि विधान से पूजा आराधना की गई.
Varanasi News: शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि ऋषि शिलाद के पुत्र नंदी भगवान शंकर की आराधना में लीन रहते थे. वह सभी गुणों में सर्वोत्तम थे और इसीलिए नंदी भगवान शंकर के सबसे प्रिय भक्त माने जाते हैं और इनकी पहचान भगवान शिव के वाहन के रूप में होती है. यही वजह है कि नंदी की मूर्ति के बिना कोई भी शिव मंदिर पूर्ण नहीं माना जाता है. भगवान शंकर के सबसे बड़े धाम काशी विश्वनाथ मंदिर में पहली बार प्रदोष तिथि पर श्री नंदीश्वर उत्सव का आयोजन किया गया. जहां विधि विधान से परिसर में रखी नंदी की मूर्ति का पूजन किया गया.
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित गर्भगृह के ठीक पास में नंदी की मूर्ति स्थापित है. पहली बार प्रदोष तिथि पर मंदिर परिसर में श्री नंदीश्वर उत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान कर्मकांडी ब्राह्मणों द्वारा नंदी की मूर्ति का अभिषेक के साथ-साथ विधि विधान से पूजन किया गया. और यह भी निर्णय लिया गया है कि अब हर प्रदोष तिथि पर श्री नंदीश्वर उत्सव का आयोजन होगा. रविवार के दिन आयोजित हुए इस नंदीश्वर उत्सव के दौरान मंदिर न्यास - पदाधिकारी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे.
हर बार प्रदोष पर होगा श्री नंदीश्वर उत्सव का आयोजन
श्री मंदिर न्यास द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अब प्रत्येक प्रदोष पर श्री नंदीश्वर उत्सव का आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा काशी में विभिन्न स्थलों पर अवस्थित नंदीश्वर प्रतिमाओं को भी धाम द्वारा सुसज्जित किए जाने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही गौवंश संरक्षण को भी प्रोत्साहित करने के लिए जन सहभागिता को ध्यान में रखकर अभियान चलाया जाएगा. प्रदोष तिथि पर आयोजित हुए श्री नंदीश्वर उत्सव को लेकर पूरे शहर में चर्चा रही और ऐसा पहली बार हुआ जब भगवान शंकर के सभी गणों में सर्वोत्तम माने जाने वाले नंदी को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में ऐसे उत्सव का आयोजन हुआ.
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