Varanasi News: कांवरियों के स्वागत के लिए तैयार हुई काशी, वाराणसी नगर निगम ने किए खास इंतजाम
UP News: 22 जुलाई से सावन महीने की शुरूआत हो रही है, काशी में सावन माह की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कतो का सामना न करना पड़े इसके खास इंतजाम किये जा रहे हैं.
Varanasi News: वाराणसी जिला प्रशासन के साथ-साथ वाराणसी नगर निगम में भी आने वाले सावन माह को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है. इसी बीच एबीपी लाइव को मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी नगर निगम की तरफ से शिव भक्त कांवरियों के लिए विशेष इंतजाम की तैयारी की जा रही है. जगह-जगह उनके विश्राम, स्वच्छ जल, ठहराव की व्यवस्था सुनिश्चित करने के अलावा उन जगहों पर खुले में मीट मांस को बेचने पर भी निर्धारित दिनों के लिए प्रतिबंध लगाने की तैयारी है जहां से कांवरियों का आवागमन होगा.
आने वाले 22 जुलाई से सावन माह प्रारंभ हो रहा है. इस दौरान भगवान शंकर की नगरी कहे जाने वाले काशी के अलग-अलग शिवलिंग और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर में जल चढ़ाने के लिए लाखों की संख्या में कांवरिया पहुंचेंगे. इसको लेकर वाराणसी जिला प्रशासन और नगर निगम ने अपनी तैयारी को तेज कर दिया है. वाराणसी के उन सड़कों के मरम्मत कार्य को भी शुरू कर दिया गया है जहां से कांवरिया गुजरेंगे. इसके अलावा वाराणसी नगर निगम अब इस आदेश पर भी विचार कर रहा है कि जिन मार्ग से शिव भक्त और कांवरिया गुजरेंगे वहां पर खुले में मीट मांस बेचने पर प्रतिबंध लागू किया जाए. हालांकि इसको लेकर अभी वाराणसी मेयर और विभागीय अधिकारियों के साथ बातचीत जारी है. सावन माह के दौरान काशी में भारी संख्या में श्रद्धालु और शिवभक्त पहुंचते हैं. इस दौरान वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ-साथ अन्य प्रसिद्ध शिव मंदिरों पर बेहतर इंतजाम को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और विभागीय अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर लगातार जारी है.
करोड़ों की संख्या में पहुंचते हैं शिव भक्त
दिसंबर 2021 काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का काशी पहुंचना जारी है. विशेष तौर पर सावन माह में शिव भक्तों की संख्या करोड़ तक पहुंच जाती है. ऐसे में इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है कि 22 जुलाई से शुरू हो रहे सावन माह के पांच सोमवार की अवधि तक काशी विश्वनाथ मंदिर में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु काशी के साथ-साथ अन्य शहरों से पहुंचेंगे. निश्चित ही श्रद्धालुओं के बेहतर व्यवस्था व इंतजाम को लेकर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रशासन पर बड़ी जिम्मेदारी होगी.
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