Varanasi News: काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, यहां अनेक ऐसे प्राचीन शिवलिंग हैं जिसकी गिनती करना तक संभव नहीं है. ऐसे ही प्राचीन शिवालियों में से एक है वाराणसी के बंगाली टोला स्थित तिलभांडेश्वर महादेव का मंदिर. यह वाराणसी का प्राचीन मंदिर है जिसमें तिलभांडेश्वर महादेव के नाम से एक बड़ा शिवलिंग है. जिसका दर्शन करने के लिए सावन, महाशिवरात्रि के साथ-साथ सामान्य दिनों में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.
काशी के धर्माचार्य पं विश्वकांतचार्या ने एबीपी लाइव से बातचीत में इस प्राचीन मंदिर के बारे में बताया कि सनातन संस्कृति के धर्मशास्त्र काशी महात्म के काशी खंड में इस बात का उल्लेख है कि भगवान शिव की नगरी काशी में तिलभांडेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है. धर्मशास्त्र के अनुसार ऋषि विभांड ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की थी. कठोर तप का प्रभाव उनके शरीर पर भी देखा जा रहा था. इससे व्याकुल देवताओं ने उन्हें मनाने का प्रयास किया. तभी ऋषि विभांड ने सबको वरदान दिया. उसी समय से इस प्राचीन शिवलिंग में हर वर्ष तिल जितना वृद्धि होती है.
असाध्य रोगों से मिलती है मुक्ति
काशी के धर्माचार्य बताते हैं कि यहां हर माह श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जाती है. विशेष तौर पर यहां तिल, जौ, शुद्ध जल चढ़ाने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से जो कोई भी श्रद्धालु भगवान तिलभांडेश्वर का दर्शन करता है और उन्हें तिल जौ अर्पित करता है, उसे असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा अनेक मनोकामनाओं की प्राप्ति भी इस शिवलिंग के दर्शन करने से होती है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार के मौके पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. सुबह से श्रद्धालु बड़ी संख्या मेें काशी विश्वनाथ भगवान का दर्शन के लिए पहुंचे.
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