Varanasi News: पान का जिक्र होते ही लोगों को बनारस याद आता है और इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं की इसी शहर से शुरू हुए पान खाने के अंदाज और स्वाद को किसी और जगह नहीं देखा जाता. आज के दौर में लोगों द्वारा पान को न सिर्फ अपने शौक के लिए खाया जाता है बल्कि अपने प्रमुख मांगलिक आयोजन में भी इसे शामिल किया जाता है. वाराणसी में कई ऐसे पान के दुकान है जो सालों पुराने हैं. लेकिन इन सब के बीच चौखंभा में ऐसी भी दुकान है जो 222 साल पुरानी है. यह दुकान राजनेताओं, संगीत घराने के दिग्गज और साहित्यकारों की बैठकी के लिए जाना जाता रहा है .
एबीपी लाइव की टीम वाराणसी के चौखम्भा जौहरी बाजार स्थित 222 साल पुराने राजेंद्र चौरसिया के दुकान पर पहुंची. आज भी उसी अंदाज में लोग इनकी दुकान पर पान खाते देखे गए. बातचीत में राजेंद्र चौरसिया ने बताया कि उनकी दुकान 222 साल पुरानी है. उनकी छठवीं पीढ़ी भी इस व्यवसाय में शामिल है. इस दुकान पर वर्तमान समय में जगन्नाथी, देशी और मगही आदि पान बेचा जाता है. जिसका दाम 8-10 रुपए से शुरू होकर अधिकतम 50 रुपए तक निर्धारित है.
इन हस्तियों ने खाया पान
उन्होंने बताया कि हमारी दुकान पर भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान, राजन मिश्रा साजन मिश्रा, गिरिजा देवी, डॉ. संपूर्णानंद, पंडित कमलापति त्रिपाठी, किशन महाराज, बिरजू महाराज, साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र, कलाकार कन्हैयालाल जैसे हस्ती न सिर्फ पान खाने के लिए पहुंचते थे, बल्कि दुकान पर ही समाज के विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए उनकी बैठकी भी लगती थी. बनारसी पान खाते हुए देश-विदेश के मुद्दों पर घंटों चर्चा करने के लिए बनारसी गली पहचानी जाती रही है और इसे काशी वालों के अल्हड़पन व्यवहार के तौर पर भी देखा जाता है, जों किसी और शहर के लोगों के लिए अचरज की बात रहती है.
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वहीं दुकान पर पान खाने के लिए मौजूद सुनील गुजराती से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या आज के भागम भाग भरे दौर में आप बनारसी अल्हड़पन को अनुभव करते हैं. उन्होंने जवाब दिया कि आज लोग अपने व्यवसाय में काफी व्यस्त हो चुके हैं. वह मिजाज नहीं देखने को मिलता. पहले के दौर में लोग बेफिक्र होकर अपनी मस्ती में इसी गलियों में जिया करते थे. लेकिन अब बात कुछ और है. हालांकि आज के दौर में भी जो बनारसी पान के शौकीन होते हैं वह इस दुकान पर रुकते हैं. हम खुद 40 साल से इस दुकान पर पान खाने के लिए आते रहे हैं.