UP Politics: ज्ञानवापी-मथुरा पर सीएम योगी के समर्थन में उतरे साधु संत, कहा- 'प्रस्ताव स्वीकार कर लें मुस्लिम'
Varanasi News: सीएम योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी और मथुरा को लेकर जो बयान दिया है, उसका साधु संतों ने दिल खोलकर समर्थन किया और कहा कि मुस्लिमों को ये अपने आप ही हिन्दुओं को दे देने चाहिए.
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Yogi Adtityanath Statement: ज्ञानवापी और मथुरा को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सदन में जो बयान दिया, उसके समर्थन में अब वाराणसी के साधु संत भी उतर आए हैं. संतों ने सीएम योगी का समर्थन करते हुए कहा कि मुसलमानों की तरफ से इस पर पहल करनी चाहिए अगर वह ऐसा नहीं करते तो अपना नुकसान करेंगे क्योंकि कोर्ट के माध्यम से वह फैसला हिंदू के पक्ष में ही आना है. वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया आई है. इस्लामिक हैंड्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने सभी से शांतिपूर्वक कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की अपील की और कहा कि भारत को भारत बने रहने दें.
वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा काशी और मथुरा को अपने एजेंडे में लेना संत समाज के लिए सुखद अनुभूति जैसा है. मुख्यमंत्री की बातों का हम हार्दिक स्वागत करते हैं. संत समिति मुस्लिम समाज से यह अपील करती है कि वह योगी जी के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले जो उनके हित में होगा.
सीएम योगी के समर्थन में उतरे साधु-संत
श्री दुर्गा मातृ शक्ति छाया पीठ की पीठाधीश्वर साध्वी गीताम्बा तीर्थ ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी की बात पर मुसलमानों को ध्यान देना चाहिए क्योंकि कोर्ट के माध्यम से वह हिंदुओं को मिलना ही है. सारे सबूत हिंदुओं के पक्ष में है, ऐसे में अगर मुस्लिम समाज बड़ा हृदय करके हिंदुओं के साथ आता है तो यह उनकी उदारता और महानता होगी क्योंकि इन्हें कानूनी लड़ाई हारना ही है. मुस्लिम समाज के जो लोग कोर्ट के फैसले को नहीं मानते उन्हें देश निकाला दे देना चाहिए, जो कोर्ट की बात ना माने सबूत को ना माने उसे भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
इस पूरे मामले पर इस्लामिक हैड्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष शाह मेराज अहमद ने सभी से हाथ जोड़कर अनुरोध सहित अपील करते हुए कहा कि भारत को भारत ही रहने दें. हो सकता है कि इतिहास में कुछ बातें हुई हो कुछ गलती हुई हो जिसे हम नहीं जानते. उन बातों को कोर्ट के अधीन जाकर कोर्ट जो फैसला दे उसे सभी को सर्वमान्य रूप से मनाना चाहिए और भारत के सबाब को बनाए रखें. हमारा सर्वोच्च न्यायालय सभी की बात सुनकर फैसला करता है.
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