UP News: धर्म नगरी काशी वेद शास्त्र के अध्ययन के लिए प्राचीन समय से ही दुनिया का प्रमुख केंद्र माना जाता है. काशी में स्थित देश के प्राचीन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आज भी गुरुकुल परंपरा के तहत आचार्य शास्त्री और शोध अध्ययन किया जाता है. अब इस विरासत से सात समंदर और खाड़ी देश भी जुड़ सकेंगे. जी हां श्रीलंका नेपाल सहित बहरीन और स्पेन जैसे देशों से विश्वविद्यालय का MOU हस्ताक्षर हुआ है जिसके माध्यम से विभिन्न देशों के शिक्षण संस्थानों से वेद शास्त्र पर आधारित इस सांस्कृतिक विरासत का आदान-प्रदान हो सकेगा.


दुनिया को शांति की राह दिखाने में भारत सक्षम- कुलपति


दुनिया के अलग-अलग देशों से विश्वविद्यालय के MOU हस्ताक्षर पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत की. कुलपति ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियां स्पष्ट दर्शाती है कि आज के दौर में जहां कई देश क्रांति के आधार को स्वीकारने पर प्राथमिकता देते हैं. वहीं दूसरी तरफ भारत ने हमेशा से ही दुनिया को शांति की राह प्रदान है और आज भी भारत उन्हीं सिद्धांतों पर अटल है.


इन्हीं संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से  काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, एक्वाडोर (लैटिन अमेरिका), स्पेन, बहरीन जैसे देशों से MOU हस्ताक्षर हुए हैं. इसके माध्यम से दोनों देशों से कल्चरल एक्सचेंज, छात्र-फैकल्टी एक्सचेंज जैसे आधार को मजबूती मिलेगी. दोनों देशों के छात्र एक दूसरे की विरासत को साझा कर सकेंगे. इसके साथ ही संस्कृत के वैश्विक पहचान को और मजबूती मिलेगी. यह हमारे विश्वविद्यालय परिवार के लिए भी गौरव की बात है और आगे भी विभिन्न देशों से अपनी सांस्कृतिक विरासत को आदान-प्रदान करने के लिए हम प्रयासरत है. 


इन विषयों से है संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की पहचान 


काशी का संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय देश का सबसे पुराना संस्कृत शिक्षण संस्थान माना जाता है. संस्कृत अध्ययन के लिए पहचाने जाने वाले इस विश्वविद्यालय का मुख्य भवन बेहद आकर्षक है. इसके साथ ही यहां पर प्राचीन पांडुलिपि संसाधन एवं संरक्षण केंद्र, वेधशाला के साथ-साथ यहां पर धर्म शास्त्र से जुड़े पुस्तकों का भंडार है. आज भी यहां पर आचार्य, शास्त्र और शोध अध्ययन की पढ़ाई के लिए छात्र और छात्राएं प्राचीन परंपरा का पालन करते हैं. भारत के साथ-साथ दुनिया के अलग-अलग देशों से यहां पर छात्र और छात्राएं वेद शास्त्र के अध्ययन के लिए पहुंचते हैं.


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