Sharadiya Navratri In Varanasi: आज से शारदीय नवरात्र पर्व (Sharadiya Navratri) शुरू हो गया है. प्रथम दिन मां शैलपुत्री के पूजन का विशेष महत्व है. देशभर के अनेक दुर्गा मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है. इसी कड़ी में वाराणसी के भी प्राचीन शैलपुत्री देवी मंदिर के बाहर सुबह से ही श्रद्धालु कतार में लगकर दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मंदिर परिसर के आसपास लाल चुनरी, नारियल और अन्य पूजन सामग्री की दुकानें सज गई हैं.
हजारों वर्ष पुराना है मंदिर
वाराणसी के सिटी रेलवे स्टेशन से तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर अलीईपुर स्थित वरुणा नदी के पास माता शैलपुत्री का मंदिर है. नवरात्र के प्रथम दिन यहां दर्शन करने का विशेष महत्व होता है. मंदिर के पुजारी जीत कुमार तिवारी ने बताया कि काशी खंड में इस मंदिर का विशेष वर्णन है जिसके अनुसार शैलराज हिमालय द्वारा इसका निर्माण कराया गया था. इसके पीछे कथा है कि भोलेनाथ और माता पार्वती काशी में निवास करते थे. इस दौरान शैलराज अपनी पुत्री माता पार्वती से उनकी चिंता करते हुए काशी में मिलने के लिए आए थे. उनके अंदर यह विचार था कि भगवान शंकर तो मस्त मौला और अड़भंगी स्वभाव के हैं.
उन्होंने पुत्री के निवास स्थल या अन्य सुविधाओं के लिए भवन निर्माण कराया होगा की नहीं. लेकिन जब वह भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचते हैं तो सोने का यह शहर देखकर हैरान हो जाते हैं और उन्हें मन ही मन अपनी इस सोच पर ग्लानि होती है. जिसके बाद वह माता शैलपुत्री के साथ इस मंदिर को देखने के लिए जाते हैं और तभी से इस मंदिर का नाम शैलपुत्री (जहां खुद हिमालय राज की पुत्री का वास हो) रखा गया है.
महिलाओं को मिलता है पति की लंबी आयु का वरदान
पुजारी बताते हैं कि यहां पर माता रानी का साक्षात निवास है और दर्शन करने से सभी मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है. नवरात्र के प्रथम दिन विशेष तौर पर यहां भक्त भारी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां की मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ माता शैलपुत्री के मंदिर में पहुंचती है, जहां उन्हें माता रानी से आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके पति की लंबी उम्र होती है.
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