Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मंदिर परिसर मामले में हिंदू पक्ष के एक वादी की दलीलों पर वाराणसी की जिला अदालत में कल भी सुनवाई जारी रहेगी. सरकारी अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने बताया कि हिन्दू पक्ष की वादी नंबर एक राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने आज जिला जज ए के विश्वेश की अदालत में अपनी दलील रखी, हिन्दू पक्ष की दलील मंगलवार को भी जारी रहेगी. अधिवक्ता शिवम गौड़ ने कहा कि मुस्लिम पक्ष का मेरे मुकदमें को पोषणीयता योग्य नहीं बताना पूरी तरह गलत है.


'मुस्लिम पक्ष की दलील हिंदू पक्ष के मुकदमे में लागू नहीं होती'


मुस्लिम पक्ष के बार बार उपासना स्थल अधिनियम, वक्फ अधिनियम और काशी विश्वनाथ अधिनियम की दलील देना मेरे मुकदमे में लागू ही नहीं होता. गौड़ ने बताया कि उन्होंने अदालत के सामने दलील रखी कि हिन्दू पक्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की पूजा करता रहा है और बाद में सरकार ने बैरिकेडिंग कर हिंदुओं को मां श्रृंगार गौरी की पूजा करने पर रोक लगा दी. श्रृंगार गौरी 1993 तक हिंदुओं का पूजा का स्थल था, इसलिए उपासना स्थल अधिनियम मेरे मुकदमें में लागू नहीं होता. गौड़ ने कहा कि मेरा मुकदमा मां श्रृंगार गौरी के नियमित पूजा तक सीमित है. ज्ञानवापी की जमीन का अधिकार राखी सिंह या किसी भी वादी के दायरे में नहीं आता, जमीन के मालिक भगवान आदि विश्वेश्वर हैं और कोई भी भक्त भगवान की जमीन पर अपना दावा नहीं कर सकता.


गौरतलब है कि हिंदू पक्ष के चार अन्य वादियों के वकीलों ने शुक्रवार को दलील दी कि ज्ञानवापी क्षेत्र में 'आदिविश्वेश्वर' (भगवान शिव) स्वयं प्रकट हुए और सदियों से उनकी पूजा की जाती रही है, लेकिन बाद में उनकी मूर्ति को छिपा दिया गया. इन चारों वादियों की सुनवाई पूरी हो चुकी है. राखी सिंह और अन्य ने ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में विग्रहों की सुरक्षा और नियमित पूजा पाठ का आदेश देने के संबंध में वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी जिसके आदेश पर पिछले मई माह में ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था. इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था.


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जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत में दलील पेश की जा रही


सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी. मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी सर्वे पर यह कहते हुए आपत्ति की थी कि निचली अदालत का फैसला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधानों के खिलाफ है और इसी दलील के साथ उसने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था. अदालत ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन मामले को जिला अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया. इसके बाद से इस मामले की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है. मामले की पोषणीयता पर जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत में दलील पेश की जा रही है और इसी क्रम में मुस्लिम पक्ष ने पहले दलीलें रखीं, जो मंगलवार को पूरी हो गईं. 


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