Varanasi News: देश की प्रमुख नदी गंगा और यमुना की स्वच्छता को लेकर एनजीटी में 19 फरवरी को अहम सुनवाई हुई. फिलहाल इस विषय से जुड़ा हैरान करने वाला मामला यह सामने आया है कि उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) द्वारा ही सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट को चुनौती दिया जा रहा है. इस मामले में 19 फरवरी को एनजीटी कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड असहमत नजर आया. अब इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 28 फरवरी को तय की गई है.


वाराणसी के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने 2024 के दौरान गंगा में गिर रहे नाले को लेकर NGT कोर्ट में एक वाद दाखिल किया था. इसी वाद में NGT की तरफ़ से दिसंबर 2024 में प्रयागराज महाकुंभ और माघ मेले को ध्यान में रखते हुए गंगा की शुद्धता और गुणवत्ता को बनाए रखने के संबंध में UPPCB और CPCB को दिशा निर्देश जारी किया था. इस मामले में  31 जनवरी - 28 फ़रवरी को रिपोर्ट पेश करना था. दिनांक 17 फरवरी को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा पेश किए रिपोर्ट के आधार पर गंगा - यमुना का पानी स्नान योग्य नहीं माना गया था.



इसके बाद 19 फ़रवरी को राज्य सरकार और UPPCB द्वारा NGT कोर्ट में अपना पक्ष रखा गया, जिसमें वह CPCB बोर्ड की रिपोर्ट को ही चुनौती देते नजर आया. साथ ही इस ओर भी इशारा किया गया की नदी से सैंपल कहां से लिया गया है यह महत्वपूर्ण है. जिसपर एनजीटी कोर्ट का रुख सख्त नजर आया. फिलहाल इस मामले में याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी का कहना है कि एनजीटी कोर्ट में इस मामले को लेकर अगली तारीख 28 फरवरी तय की गई है.


नदी की गुणवत्ता मामले में विस्तार पूर्वक रिपोर्ट आवश्यक - पर्यावरण विद
वहीं इस मामले पर लंबे समय से गंगा नदी पर कार्य कर रहे पर्यावरण विद् प्रोफेसर. बी. डी. त्रिपाठी का कहना है कि - निश्चित ही नदी में सैंपल कहां से लिया गया है, यह महत्वपूर्ण है. क्योंकि अलग-अलग भाग में पानी के गुणवत्ता में बदलाव बिल्कुल संभव है. नदियों के स्वच्छता संबंधित विषय पर किसी भी रिपोर्ट को विस्तार से प्रस्तुत करना आवश्यक है.


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