Ramjanam Yogi Sankhnaad: लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को वाराणसी पहुंचे. यहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और गंगा आरती में शामिल हुए. गंगा आरती के दौरान शंखनाद करने वाले रामजन्म योगी जमकर चर्चा हो रही है. उन्होंने 2 मिनट 40 सेकेंड तक शंखनाद किया, पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों ये देखते रह गए. पीएम ने उनके लिए ताली भी बजाई.
रामजन्म योगी की इस कला को देखकर हर कोई हैरान रह गया. 62 साल के रामजन्म योगी वाराणसी के ही चौबेपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने योग क्रिया के बल पर इतना लंबा शंख बजाने की कला में महारत हासिल की है. वो 5 मिनट या 10 मिनट ही नहीं आधे घंटे तक बिना सांस तोड़े शंखनाद कर सकते हैं. उन्होंने पीएम मोदी, सीएम योगी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ दूसरे देशों से आए राष्ट्राध्यक्षों इमैनुएल मैक्रो, जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे के सामने भी शंखनाद किया है.
योग क्रियाओं से सांसों पर नियंत्रण
कहते हैं कि रामजन्म योगी बचपन से ही कुछ अलग करना चाहते थे. उनके घर के बाहर हनुमान मंदिर था, जहां उन्होंने आठ साल की आयु के बाद से ही शंख बजाना शुरू कर दिया. वो काफी देर तक अपनी सांस को रोक सकते थे, जिसके बाद प्राणायम और तमाम योग क्रियाओं के जरिए अपनी श्वास क्रिया पर नियंत्रण पाना शुरू कर दिया. योग के जरिए उन्होंने एक साथ सांस खींचना, सांस छोड़ना और सांस रोकने की क्रियाओं पर नियंत्रण पर लिया.
रामजन्म योगी ने योग में वर्णित कुंभक, रेचक और पूरक क्रिया के दरिए शंखनाद करना शुरू कर दिया. जिसके बाद वो बिना शंख ध्वनि के टूटे श्वसन प्रणाली को मजबूत रखते हुए भी सांस भी ले सकते हैं और सांस को रोककर भी रख सकते हैं. यहीं वजह है कि कई मिनटों से लेकर आधे घंटे या उससे अधिक समय तक शंखनाद कर सकते हैं.
रामजन्म योगी अपने लंबे शंखनाद की वजह से पूरे देश में चर्चित हैं. वाराणसी में होने वाले किसी भी बड़े कार्यक्रम में उनसे ही शंखनाद कराया जाता है. लोगों का कहना है कि ये कला पूरे विश्व में किसी और के पास नहीं हैं, जहां एक से डेढ़ दो मिनट तक सांस रोकना मुश्किल हैं वो इतने लंबे समय तक सांस को रोक सकते हैं. उनके समर्थकों ने रामजन्म योगी का नाम गिनीज बुक में भी दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन, गिनीज बुक टीम में उनके जैस दो और शंखनाद करने वाले प्रतियोगियों को लाने के लिए कहा, लेकिन आज तक ऐसा कोई दूसरा नहीं मिल सका है, जिसकी वजह से उनका नाम गिनीज बुक में शामिल नहीं हो सका.
पीएम मोदी ने भी उनकी इस कला की तारीफ़ की है. उन्होंने इस कला को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए भी कहा है.