Varanasi News: आज काशी सहित पूरे देश में गणेश संकष्टी चतुर्थी का व्रत धूमधाम से मनाया जाएगा. माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु और सभी कष्टों से मुक्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं और चंद्रमा दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है. प्राचीन कॉल से ही गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत का बहुत महत्व है. मान्यताओं के अनुसार विघ्नहर्ता भगवान गणेश ने भगवान शंकर और माता पार्वती की इसी तिथि पर परिक्रमा पूर्ण की थी जिसे गणेश संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.
गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत को लेकर धर्माचार्य बताते हैं कि इस दिन भगवान गणेश ने भगवान शंकर और माता पार्वती की परिक्रमा को पूर्ण किया था और तभी से लेकर आज तक माताएं अपने पुत्र के जीवन से जुड़े सभी कष्ट को हरने के लिए और दीर्घायु की कामना लेकर गणेश संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि आज यानी कि 29 जनवरी को देशभर में गणेश संकष्टी चतुर्थी मनाया जाएगा. यह तिथि 29 जनवरी को सुबह 6:10 से लेकर 30 जनवरी तक 8:55 सुबह पर समाप्त होगी. इस पर्व का विशेष महत्व है. पुत्र की दीर्घायु होने और सभी कष्ट के निवारण के लिए माताएं अपने पुत्र के लिए व्रत रखती हैं. मान्यताओं के अनुसार विघ्नहर्ता भगवान गणेश ने भगवान शंकर और माता पार्वती की इसी तिथि पर परिक्रमा पूर्ण की थी जिसे गणेश संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.
माताएं शाम को करती हैं व्रत का पारण
पंडित संजय उपाध्याय बताते हैं कि इस दिन सूर्योदय के बाद से ही महिलाएं अपने पुत्र के लिए दीर्घायु जीवन प्राप्ति व सुख समृद्धि के लिए सुबह से ही निराजल व्रत रखती हैं. रात के समय चंद्रमा दर्शन के बाद वह व्रत का पारण करती हैं और रात के समय हल्का फलाहार करती हैं. प्राचीन काल से ही इस व्रत को धूमधाम से मनाया जाता है. वाराणसी के प्राचीन बड़ा गणेश मंदिर पर दर्शन के लिए भी भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं. वहीं रात्रि के समय चंद्रमा का षोंडशोपचार विधि के तहत पूजन किया जाता है. चंद्रमा भगवान का पूजन करते समय ओम चंद्राय नमः, ॐ सोमाय नमः मंत्र का उच्चारण करना चाहिए जिससे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.
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