Sanjay Gandhi Hospital License Suspended: पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) अक्सर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. वो कई बार अपनी पार्टी लाइन से अलग जाकर खुलकर बोलते हैं, जिसकी वजह से कई बार बीजेपी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है. वरुण गांधी ने एक बार फिर से अमेठी स्थिति संजय गांधी अस्पताल (Sanjay Gandhi Hospital) का लाइसेंस रद्द किए जाने के फैसले को लेकर अपनी ही सरकार पर तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा कि कही इस फैसले के पीछे अस्पताल का नाम तो नहीं है, जिसकी वजह से सैकड़ों लोगों के सामने रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो गया है.
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस रद्द किए जाने पर सवाल उठाया और कहा, 'सवाल संजय गांधी अस्पताल के 450 कर्मचारियों और उनके परिवार का ही नहीं, रोज सैकड़ों की संख्या में इलाज कराने वाले सूबे की आम जनता का भी है. उनकी पीड़ा के साथ न्याय ‘मानवता की दृष्टि’ ही कर सकती है, ‘व्यवस्था का अहंकार’ नहीं... कहीं ‘नाम’ के प्रति नाराजगी लाखों का ‘काम’ न बिगाड़ दे.'
वरुण गांधी के पिता के नाम पर है अस्पताल
दरअसल संजय गांधी अस्पताल वरुण गांधी के पिता के नाम पर है, जिसका उद्घाटन तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने किया था. इस अस्पताल का लाइसेंस निलंबित होने को लेकर वरुण गांधी लगातार सवाल उठा रहे हैं. इससे पहले उन्होंने यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को भी पत्र लिखकर इस पर नाराजगी जताई थी और उक्त कार्रवाई पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि, 'अस्पताल के लाइसेंस का त्वरित निलंबन उन सभी व्यक्तियों के साथ अन्याय है, जो न केवल प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए, बल्कि अपनी आजीविका के लिए भी संस्थान पर निर्भर हैं.'
लाइसेंस रद्द होने के बाद हड़ताल पर बैठे कर्मचारी
वहीं दूसरी तरफ अस्पताल का लाइसेंस रद्द हो जाने के बाद अस्पताल के करीब 400 से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं. उनका कहना है कि अस्पताल के बंद से होने से वो सभी बेरोजगार हो गए हैं. इस अस्पताल में रोजाना करीब 800 मरीजे इलाते के लिए आते थे. ऐसे में आसपास के लोगों में भी इस फैसले को लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है.
जानें- क्या है मामला?
आपको बता दें कि 14 सितंबर को पथरी के ऑपरेशन कराने के लिए अनुज शुक्ला ने पत्नी दिव्या शुक्ला को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया था. 15 सितंबर को ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया देना था, लेकिन ओवरडोज देने की वजह से वो कोमा में चली गई थी. 16 सितंबर को घरवाले उसको लखनऊ के मेदांता लेकर पहुंचे थे. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. इस मामले में मुंशीगंज थाने में अस्पताल के सीईओ समेत तीन डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज हुआ था.
UP Politics: रमेश बिधूड़ी को लेकर दानिश अली का ये दावा सच हुआ, तो बढ़ सकती हैं BJP की मुश्किलें