Varun Gandhi: पहली बार कब पीलीभीत आए थे वरुण गांधी, 41 साल पुराने भावुक पल को यूं किया याद
Varun Gandhi News: पीलीभीत से टिकट कटने के बाद मौजूद वरुण गांधी ने यहां की जनता के लिए एक भावुक चिट्ठी लिखी है, उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि वो पहली बार कब यहां आए थे.
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Varun Gandhi Emotional Letter: पीलीभीत लोकसभा सीट के लिए बीजेपी से टिकट कटने के बाद निवर्तमान सांसद वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के लिए भावुक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने बताया कि कैसे 41 साल पहले वो अपनी मां की उंगली पकड़ कर पहली बार आए थे. यही नहीं उन्होंने कहा कि एक बेटे के तौर पर वो हमेशा पीलीभीत से जुड़े रहेंगे.
वरुण गांधी ने एक्स पर पीलीभीत की जनता के लिए एक लंबी चौड़ी चिट्ठी लिखी है, जिसमें वो काफी भावुक नजर आए और उन्होंने अपने पूरे सियासी सफर को याद किया.
वरुण गांधी ने लिखा भावुक पत्र
वरुण गांधी ने लिखा, आज जब मैं ये पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है. मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है. जो अपना मां की उंगली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था कि एक दिन ये धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे.
उन्होंने आगे लिखा, मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौक़ा मिला, महज़ एक सांसद के तौर पर नहीं बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है. आपका प्रतिनिधि होने मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई.
सांसद ने लिखा- एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले ही समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक ख़त्म नहीं हो सकता. सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे. मैं राजनीति में आम मंदी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूँ कि सदैव ये कार्य करता रहूँ. भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े.
वरुण ने लिखा- मेरा पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है. जो किसी राजनीतिक गुणा भाग से बहुत ऊपर है. मैं आपका था और रहूंगा. आपको बता दें कि बीजेपी ने पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर उनकी जगह जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है. वरुण गांधी ने भी पहले से नामांकन पत्र खरीदा था लेकिन उसे जमा नहीं किया.
Varun Gandhi Letter: वरुण गांधी की चिट्ठी से फिर उठे सवाल, इस मुद्दे पर नहीं टूटी खामोशी
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