Himalayan Flowers: हिमालयी फूलों से खिल उठा वासुकी ताल, नीलकमल ने बढ़ाई खूबसूरती, ये फूल खिला है पहली बार
flowers in Himalaya: पिछले 2 वर्षों में हिमालयी (Himalaya) क्षेत्रों में मानव हलचल कम हुई है. जिस कारण हिमालयी क्षेत्रों में खिलने वाले फूल (Flower) एक बार फिर से खिलने लग गए हैं.
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Kedarnath Vasuki Tal Himalayan Flowers: केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के हिमालयी (Himalaya) क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों में मानव गतिविधियां कम होने से नीलकमल (Neelkamal) सहित अनेक प्रकार के फूल (Flowers) खिले उठे हैं. इन फूलों के खिलने से हिमालयी क्षेत्रों की सुंदरता भी बढ़ गई है. इन दिनों केदारनाथ से 8 किलोमीटर दूर स्थित वासुकी ताल (Vasuki Tal) के आस-पास का क्षेत्र नीलकमल, सोसरिया, हेराक्लम वालिचि सहित अन्य प्रकार के हिमालयी फूलों से गुलजार है. सोसरिया का फूल केदारनाथ के हिमालयी क्षेत्र में पहली बार पाया गया है.
सालों बाद देखने को मिले हैं फूल
पिछले 2 वर्षों में हिमालयी क्षेत्रों में मानव हलचल कम हुई है. जिस कारण हिमालयी क्षेत्रों में खिलने वाले फूल एक बार फिर से खिलने लग गए हैं. वासुकी ताल के आस-पास के हिमालयी क्षेत्र सहित बुग्यालों में नीलकमल, सोसरिया, हेराक्लम वालिचि, मीठा विष सहित अन्य प्रकार के फूल खिल उठे हैं. वासुकी ताल क्षेत्र में इस प्रकार के फूल काफी सालों बाद देखने को मिले हैं. इन फूलों के खिलने के बाद हिमालयी क्षेत्र की सुंदरता देखते ही बन रही है. बुग्यालों में दूर-दूर तक ये फूल खिले हुए हैं.
इलाज के काम आते हैं फूल
नीलकमल फूल की बात करें तो ये हिमालयी फूल है और हिमालयी क्षेत्रों में ही पाया है. वैसे ये फूल 4 हजार मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में खिल जाते हैं. नीलकमल फूल की अपनी अलग ही पहचान है. इसके अलावा सोसरिया फूल वासुकी ताल वाले हिमालयी क्षेत्र में पहली बार पाया गया है. ये फूल सिर्फ हिमालयी क्षेत्र में होता है. वासुकी ताल में ये फूल एक दो जगह पर नहीं, बल्कि काफी बड़े-भू-भाग में अत्यधिक संख्या में खिले हैं. हिमालयी पुष्प कई बीमारियों के इलाज में रामबाण भी साबित होते हैं. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने भी हिमालयी फूल खिलने के बाद वासुकी ताल का निरीक्षण कर लिया है.
पहुंच सकता है नुकसान
अब केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू हो गई है. यात्रा पर आने वाले हजारों भक्त केदारनाथ से वासुकी ताल को निहारने भी जाते हैं. यात्रियों की आवाजाही हिमालयी क्षेत्रों में होने से इन फूलों का दोहन भी हो सकता है और हिमालय को भी नुकसान पहुंच सकता है. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों में मानव गतिविधियां कम होने से अनेक प्रजाति के फूल खिल उठे हैं. उन्होंने कहा कि नीलकम सहित अन्य प्रकार के पौधे अत्यधिक मात्रा में वासुकी ताल में खिले हैं.
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