कानपुर, एबीपी गंगा। हिन्दू परंपरा में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं. वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए स्त्रियों के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है. यह ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. इसके साथ सत्यवान-सावित्री की कथा जुड़ी हुई है. जिसमें सावित्री ने अपने संकल्प और श्रद्धा से, यमराज से सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे. महिलाएं भी संकल्प के साथ अपने पति की आयु और प्राण रक्षा के लिए इस दिन व्रत और संकल्प लेती हैं.
इस व्रत को करने से सुखद और संपन्न दाम्पत्य का वरदान मिलता है. मान्यता है कि वटसावित्री का व्रत सम्पूर्ण परिवार को एक सूत्र में बांधे रखता है. वट वृक्ष (बरगद) एक देव वृक्ष माना जाता है। बताया जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सावित्री वट वृक्ष में ही रहते हैं.
कानपुर में महिलाओं ने पूरे विधि विधान से वट सावित्रि की पूजा कर पति की लंबी आयु की कामना की. कोरोना महामारी के चलते तमाम दिशा निर्देशों का महिलाओं ने पालन किया. इस दौरान निश्चित भौतिक दूरी बनाये रखते हुये वट वृक्ष के फेरे लिये. सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते महिलाओं ने मास्क लगाकर पूजा की प्रक्रिया को संपन्न किया. पूजा के दौरान कोरोना का काफी प्रभाव दिखा इस बार महिलाएं बाहर कम निकली. घरों पर ही पेड़ की टहनी मंगा कर पूजा अर्चना की.