मेरठ: मेरठ में मदरसा इमदादुल इस्लाम में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडारोहण का भव्य कार्यक्रम हुआ. साथ ही यहां वेदों के मंत्रोच्चारण से पूरा इलाका गूंज उठा. हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद और वेदों के मंत्र जिसने भी सुने वो वाह कह उठा. मेरठ के सदर स्थित मदरसे में झंडारोहण कार्यक्रम के दौरान दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सुनील भराला भी पहुंचे. मंत्री जी ने मदरसे की तारीफ की और कहा कि यही हिन्दुस्तान है. यही एकता और अखण्डता की हमारी शक्ति है. मंत्री ने कहा कि मदरसे में झंडारोहण करके उन्हें फख्र महसूस हो रहा है.
मौलाना चतुर्वेदी ने किया वेदों का पाठ
इमदादुल इस्लाम के मौलाना महफ़ूज़ उर रहमान शाहीन जमाली ने जब वेदों का पाठ किया तो हर तरफ हिन्दुस्तान जिन्दाबाद का स्वर गूंज उठा. मौलाना चतुर्वेदी ख़ुद को रामभक्त मौलाना चतुर्वेदी कहते हैं. मेरठ सहित पूरे देश में वो मौलाना चतुर्वेदी के नाम से जाने जाते हैं. दारुल उलूम देवबंद से पढ़े मौलाना महफूज़ उर रहमान शाहीन जमाली बच्चों को पढ़ाते समय संस्कृत के श्लोकों का भी हवाला दते हैं और कुरान की आयतों का भी.
मौलाना ने हिंदुओं की धार्मिक पुस्तकों और वेदों का भी गहरा अध्ययन किया है. वो कहते हैं, कि लोग यह सोचते हैं कि अगर ये मौलाना है तो फिर चतुर्वेदी कैसे है और वो उनसे कहते हैं कि मौलाना अगर चतुर्वेदी भी हो जाए, तो उसकी शान घटती नहीं और बढ़ जाती है.
वेदों के अध्ययन के बाद बढ़ गया दायरा
मौलाना का कहना है कि हिंदू धर्म में चारों वेदों का अध्ययन करने वालों को चतुर्वेदी कहा जाता है. देवबंद से पढ़ाई पूरी करने के बाद मौलाना शाहीन जमाली को संस्कृत सीखने इच्छा हुई. उसके बाद वेदों और हिन्दुओं के बाक़ी धार्मिक पुस्तकों में उनकी रूचि बढ़ती चली गई. वो कहते हैं, वेद पढ़ने के बाद उन्होंने महसूस किया कि उनका जीवन एक खाने में सिमट कर नहीं रह गया है, बल्कि दायरा और भी बड़ा हो गया है. धार्मिक कट्टरपंथियों से मौलाना का कहना है कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत और मोहब्बत का है.
मौलाना अपने मदरसे में छात्रों को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाते हैं. वो मानते हैं कि इसके लिए दूसरे धर्मों के बारे में भी जानना ज़रूरी है. मौलाना चतुर्वेदी कहते हैं.. उनका संदेश यह है मानवता के रिश्ते में कोई भेदभाव नहीं है. इसलिए वेदों में मानवता के बारे में कही गई बातों का हवाला देकर, वो लोगों को एक दूसरे के क़रीब लाने की कोशिश करता हैं. उनके मुताबिक वेदों में तीन मूल बातें कही गई हैं, भगवान की पूजा, इंसान की मुक्ति और मानव सेवा. और वो समझते हैं कि कि ये तीनों बातें इस्लाम के संदेश में पहले से ही मौजूद हैं.
इस असाधारण मदरसे के आसपास रहने वालों में मौलाना चतुर्वेदी ख़ुद भी लोकप्रिय हैं और उनका संदेश भी. यहां पढ़ने वाले छात्र ऐसे मौलाना चतुर्वेदी से शिक्षा ग्रहण कर खुद को गौरवशाली महसूस करते हैं.
मौलाना जमाली कहते हैं कि इस शिक्षा का हमारे अपने बच्चों पर यह असर पड़ता है कि वो जिस समाज में जाएंगे, वहां उनका वास्ता अपने दूसरे धार्मिक भाइयों से होगा और जो कुछ उन्होंने यहां सीखा है. उसे अपने जीवन में अपनाएंगे. इस तरह के मेल मिलाप से आपस की एकता मज़बूत होगी. वाकई में आज के इस ज़माने में ऐसे मौलाना चतुर्वेदी एक मिसाल ही हैं.
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