जालौन: जहां एक तरफ देश ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर जालौन की जिला अस्पताल में रखे वेंटिलेटर यहां की शोभा बढ़ा रहें हैं. पीएमकेयर फंड से लाखों की लागत खर्च करके यहां वेंटिलेटर भेजे गए जो कि अब जिला अस्पताल में पड़े-पड़े धूल फांकने का काम कर रहे हैं.
10 वेंटीलेटर शो पीस बन गये
बता दें कि, एक करोड़ की लागत से स्थापित दस वेंटीलेटर जिला अस्पताल में सिर्फ शो पीस बनकर रह गए हैं. कोरोना काल की शुरुआत में जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को जब आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया था, तब पीएमकेयर फंड से 10 शैया कोविड कक्ष में 10 वेंटीलेटर को स्थापित कराया गया था.
विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ती नहीं हो पा रही है
लेकिन ऑपरेटर व स्टाफ की कमी के चलते वेंटिलेटर की सांसे फूल रही हैं. आकड़ों की बात करें तो जिले में बीते 7 दिनों में 50 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. इसके बाबजूद डॉक्टर के अभाव में जिले के बाशिंदों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बेपटरी हुई स्वाथ्य सेवाओं का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि, शासन-प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक आज तक एक विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति नहीं करा पा रहे हैं. आखिर जिले की रूपरेखा अधिकारी किस कदर तैयार कर रहें है, अगर इसी तरह चलता रहा तो हालात परेशानी खड़े करने वाले हो सकते हैं.
जान गंवा रहे लोग
वर्तमान में जिले में 1907 कोरोना के मरीज एक्टिव हो चुके हैं और 117 मौतें भी हो गई हैं. इनमें बहुत सारे ऐसे जरूरतमंद लोग हैं, जिन्हें वेंटीलेटर की जरूरत है और इसके अभाव के चलते लोग अपनी जान भी गवां रहे हैं. वहीं, इस मामले की उदासीनता की जानकरी जिला अस्पताल के सीएमसी से करनी चाही तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया और बताया कि कई बार डीएम कमिश्नर व अपर निदेशक को मामले को अवगत कराने के बाद हर महीने स्टाफ बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन फिर कोई कुछ नहीं कर पा रहे हैं.
पल्ला झाड़ते नजर आए अधिकारी
कम से कम दो डॉक्टर, चार नर्स व तीन वार्ड बॉय के साथ एक विशेषज्ञ डॉक्टर मिल जाए तो जिले में हो रही मौत के आंकड़े पर काफी हद तक ब्रेक लगाया जा सकता है. वहीं, जब इस मामले में डीएम से बात की तो उन्होंने बताया कि वेंटिलेटर मौजूद हैं जरूरत के अनुसार सीएमओ से बात की जाएंगी. मतलब साफ है कि पूरे मामले में आलाधिकारी सिर्फ पल्ला झाड़ते नज़र आ रहे हैं.
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