केस डायरी न मिलने की वजह से फिर टला बेहमई कांड का फैसला, फूलन देवी ने दिया था हत्याकांड को अंजाम
बेहमई कांड का फैसला एक बार फिर टल गया है। मूल केस डायरी न मिल पाने की वजह से फैसला टला है। मूल केस डायरी पेश किए जाने के बाद कोर्ट फैसला सुनाएगी।
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कानपुर, एबीपी गंगा। देश भर में चर्चित रहे कानपुर देहात के बेहमई कांड का फैसला एक बार फिर टल गया है। मूल केस डायरी न मिल पाने की वजह से फैसला अटका है, एसपी की ओर से एक बार फिर समय मांगने पर कोर्ट ने अब 18 मार्च की तारीख मुकर्रर की है। लगभग 39 साल पहले हुए इस हत्याकांड में 20 लोगों को डकैतों ने गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया था।
न्यायालय की ओर से फैसले की तारीख पहले 6 जनवरी नियत की गई थी। इस दिन आरोपी पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग का हवाला दिया गया, जिसके बाद फैसला 18 जनवरी तक टल गया। लेकिन इस दिन मूल केस डायरी को लेकर मामला फंस गया था। उसके बाद से तीन बार तारीख मिल चुकी है।
12 फरवरी की सुनवाई में कोर्ट ने 26 फरवरी का समय दिया था। अब बुधवार को फिर एसपी मूल केस डायर उपलब्ध नहीं करा सके और कोर्ट में समय की मांग की। जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया कि एसपी अनुराग वत्स के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय ने अब 18 मार्च तक का समय दिया है। मूल केस डायरी पेश किए जाने के बाद कोर्ट फैसला सुनाएगी।
क्या था बेहमई कांड 14 फरवरी 1981 को सिकंदरा थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी, राम औतार, मुस्तकीम और लल्लू गैंग से जुड़े लोगों ने धावा बोल दिया था। डकैतों ने लूटपाट के साथ ही 26 पुरुषों को गांव के बाहर कतारबद्ध खड़ा कर अधाधुंध फायरिंग की थी। जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। गांव के राजाराम सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने 23 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें 16 लोगों की मौत हो चुकी है।
2001 में फूलन देवी की हत्या कर दी गई बेहमई कांड के बाद बाद फूलन देवी ने मध्य प्रदेश पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। मीरजापुर से लोकसभा की सांसद चुने जाने के पहले वह काफी दिनों तक ग्वालियर और जबलपुर जेल में रहीं। साल 2001 में शेर सिंह राणा नाम के व्यक्ति ने दिल्ली में फूलन देवी के घर के बाहर ही उनकी हत्या कर दी थी।
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