माघ मेले में राम मंदिर के मॉडल और ट्रस्ट को लेकर संतों में रार, वीएचपी और शंकराचार्य खेमा ज़िद पर अड़ा
अयोध्या राम मंदिर के मॉडल और ट्रस्ट पर विश्व हिन्दू परिषद और द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का खेमा अब आमने -सामने आ गया है।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता भले ही साफ हो गया हो, लेकिन अब मंदिर के मॉडल व उसके ट्रस्ट को लेकर संतों में आपसी विवाद शुरू हो गया है। मंदिर के मॉडल और ट्रस्ट पर विश्व हिन्दू परिषद और द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का खेमा अब आमने -सामने आ गया है। वीएचपी ने शंकराचार्य पर कांग्रेस के दबाव में मंदिर निर्माण में रुकावट पैदा करने का गंभीर आरोप लगाया है, वहीं शंकराचार्य खेमे में अपने रामालय ट्रस्ट को निर्माण का ज़िम्मा नहीं मिलने पर अदालत जाने की बात कही है। दूसरी तरफ इन विवादों से बेफिक्र राम भक्त सिर्फ मंदिर निर्माण जल्द शुरू कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
धर्म की नगरी प्रयागराज में संगम की रेती पर लगे माघ के मेले में अयोध्या में प्रस्तावित रामलला के भव्य मंदिर को लेकर संतों और सन्यासियों में ज़ुबानी महाभारत छिड़ी हुई है। विवाद इस बात का है कि मंदिर निर्माण का ज़िम्मा किसे मिले और किसके मॉडल के आधार पर मंदिर का निर्माण शुरू हो। राम मंदिर के लिए पिछले कई दशकों से बड़ा आंदोलन चलाने वाली विश्व हिन्दू परिषद ने इन सवालों पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है।
वीएचपी ने अपना तीस साल पुराना मॉडल माघ मेले में लोगों के दर्शन के लिए रखा है, तो साथ ही संत -महात्माओं के समर्थन को दिखाने के लिए केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक और संत सम्मेलन का आयोजन किया। दोनों ही कार्यक्रमों में न सिर्फ अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी मौजूद रहे, बल्कि सभी ने एक आवाज़ में वीएचपी के मॉडल को अपनाने और महंत नृत्य गोपाल दास के राम जन्मभूमि न्यास को ही आधिकारिक ट्रस्ट का दर्जा देकर उसे ही मंदिर निर्माण का काम सौंपे जाने की मांग भी की। वीएचपी खेमे ने अपनी इन मांगों को लेकर तमाम दलीलें भी पेश कीं तो साथ ही दूसरे पक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसे सियासत से भी जोड़ दिया। वीएचपी प्रवक्ता शरद शर्मा ने साफ़ तौर पर कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और उनसे जुड़े लोग कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे हैं और वह लोग जानबूझकर मंदिर के काम में रुकावट पैदा करना चाहते हैं।
दूसरी तरफ द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के खेमे ने भी इस धार्मिक मेले में इंट्री कर ली है। शंकराचार्य का आगमन तो अभी नहीं हुआ है लेकिन उनका मॉडल लोगों के सामने रख दिया गया है। शंकराचार्य स्वरूपानन्द की तरफ से दो मंदिर बनाए जाने की दलील पेश की गई है। कहा यह गया है कि अस्थाई तौर पर एक बाल मंदिर बनाकर वहां रामलला को स्थापित कर दिया जाए और मंदिर निर्माण पूरा होने पर रामलला को मुख्य मंदिर में शिफ्ट किया जाए। अस्थाई मंदिर को बाल मंदिर का नाम देकर उसके मॉडल को पेश किया गया है, जबकि मुख्य मंदिर का मॉडल अलग से लोगों को दिखाया जा रहा है।
शंकराचार्य के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के मुताबिक़ वीएचपी का मॉडल पुराना और छोटा होने के साथ अव्यवहारिक अप्रासंगिक है। उन्होंने शंकराचार्य के रामालय ट्रस्ट को ही मंदिर निर्माण का ज़िम्मा सौंपे जाने की मांग करते हुए ऐसा न होने पर कोर्ट जाने का अल्टीमेटम दिया है।
वीएचपी और शंकराचार्य खेमा भले ही अपनी अपनी ज़िद पर अड़ा हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ ट्रस्ट का गठन केंद्र सरकार को करना है और मॉडल समेत दूसरे अहम फैसले प्रस्तावित ट्रस्ट को लेने हैं। मंदिर पर मची खींचतान से मेले में आए रामभक्त दुखी हैं। उनका कहना है कि मंदिर कैसा भी बने, लेकिन अब उसमे एक पल की भी देरी कतई बर्दाश्त के लायक नहीं।
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