Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में शामिल होने और अल्पसंख्यकों को लेकर दिए बयान को लेकर हुए विवाद के बीच VHP के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने उनका बचाव किया है. उन्होंने कहा कि परिषद वैसे तो आम तौर पर रिटायर जजों को ही बुलाता है. लेकिन उन्होंने अपने संबोधन में जो भी कहा उसमें कुछ भी ग़लत नहीं है.
VHP नेता मिलिंद परांडे ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद अक्सर अपने कार्यक्रमों में रिटायर जजों को आमंत्रित करते हैं. हम अपेक्षा करते हैं कि रिटायर लोग सनातन धर्म के प्रचार प्रसार का काम करेंगे लेकिन, सेवा में रहने वाले मौजूदा लोगों से हम किसी तरह की कोई अपेक्षा नहीं करते. वैसे जस्टिस शेखर यादव ने अपने संबोधन में कुछ भी गलत नहीं कहा था. उन्होंने कहा कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट के कोलोजियम में पेंडिंग है, इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ बोलना उचित नहीं होगा.
जस्टिस शेखर यादव ने दी सफाई
इससे पहले मंगलवार को जस्टिस शेखर यादव सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने भी पेश हुए थे, जहां जस्टिस संजीव खन्ना के कॉलेजियम के सामने अपनी बात रखते हुए सफाई दी. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक उन्होंने अपनी सफाई में कहा है कि उनके संबोधन को पूरे संदर्भ में नहीं समझा गया बल्कि उनकी स्पीच के कुछ हिस्सों को उठाकर विवाद खड़ा कर दिया गया है. इस दौरान जस्टिस खन्ना ने उन्हें अपने पद की गरिमा का ख्याल रखने को कहा. पांचों जजों ने कहा कि न्यायाधीश का हर बयान पद की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए ताकि उससे लोगों का न्यायपालिका में विश्वास प्रभावित न हो.
बता दें कि विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में जज शेखर यादव ने कहा था कि देश बहुसंख्यकों की भावनाओं के हिसाब से चलेगा. उन्होंने मुसलमानों के लिए कठमुल्ला शब्द का भी इस्तेमाल करते हुए कई ऐसा बातें कहीं, जिन पर विवाद खड़ा हो गया. इसे लेकर उनके खिलाफ महाभियाग चलाने और जज के पद से हटाए जाने की भी मांग भी की गई है.