उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बिना नाम लिए राहुल गांधी पर निशाना, कहा- कुछ लोग भारत को विदेश में बदनाम कर रहे
Jagdeep Dhankhar on Rahul Gandhi: जगदीप धनखड़ ने कहा कि अब भारत की आवाज सुनी नहीं जाती है, बल्कि लोग इंतजार करते हैं कि भारत इस विषय पर क्या बोलेगा.
Meerut News: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने बिना किसी का नाम लिए शनिवार को राहुल गांधी को घेरा और कहा कि कुछ लोग भारत को विदेश में बदनाम कर रहे हैं. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को मेरठ में तीन दिवसीय आयुर्वेद पर्व व एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) प्रदर्शनी के उद्घाटन पर बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लंदन में दिए गए बयान पर बिना नाम लिए हुए निशाना साधा और कहा कि मैंने अपनी दो विदेश यात्राओं के दौरान देखा है कि जब मैं खुद का परिचय देता हूं तो लोग सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, ये है आज के भारत की ताकत. फिर भी कुछ लोग भारत को विदेश में बदनाम कर रहे हैं.
जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश हमेशा सबसे पहले है, और होना चाहिए. आज देश की सोच में बदलाव आ गया है, धारा में भी बदलाव आ गया है.आज के दिन भारत कहां है, जो कभी सोचा नहीं था जिसकी कल्पना नहीं थी वो सब आज यहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने भारत की प्रतिष्ठा को कुंठित करने की ठान ली है. राज्यसभा में आज तक माइक ऑफ नहीं हुआ है. वे देश के बाहर जाकर कहते हैं कि संसद में माइक बंद कर दिया गया. जबकि देश के अंदर इमरजेंसी के समय संकट आया था. उस दौरान माइक भी बंद हुआ था. वह दिन अब कभी नहीं आ सकता.
लोकतंत्र के मंदिरों का अनादर होते नहीं देख सकते- जगदीप धनखड़
धनखड़ ने कहा कि अब भारत की आवाज सुनी नहीं जाती है, बल्कि लोग इंतजार करते हैं कि भारत इस विषय पर क्या बोलेगा. हमारा इतिहास हजारों साल पुराना है, हम एक महान राष्ट्र हैं, हमारे लोग महान हैं. उन्होंने कहा कि एक वातावरण तैयार कीजिए, संसद और विधान सभाओं में आचारण अनुकरणीय होना चाहिए. वहां व्यवधान नहीं होना चाहिए. पर ये कैसे होगा. इसके लिए आप सभी को जनांदोलन करना होगा. उन लोगों को जवाबदेह बनाना होगा जो इस महान देश की उपलब्धियों का निरादर करते हैं.
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी संविधान सभा ने 3 सालों तक अनेक जटिल और विभाजनकारी मुद्दों पर बहस की, उन्हें सुलझाया. लेकिन तीन साल के लंबे समय में, कोई व्यवधान नहीं हुआ, कोई वेल में नहीं आया, कोई प्लेकार्ड नहीं दिखाये गए. हमारा आचरण आज उसके विपरीत है. हम लोकतंत्र के मंदिरों का इस तरह अनादर होते हुए नहीं देख सकते. हम न केवल सबसे बड़े प्रजातंत्र हैं, हम लोकतंत्र की जननी भी हैं.