Basti News: कानून संविधान आजादी टॉलरेंस और न्याय की बात मत करो साहब, ये सब आपके जुबान के सिर्फ जुमले मात्र है, एक बेटी की इज्जत लूट ली गई और कानून के रखवाले महाभारत के धृतराष्ट्र की भूमिका निभाने लगे. आखिर ऐसी क्या मजबूरी है साहब जो आप बेटी की आबरू लूटने वाले की तो सुन लेते है. मगर इस बिटिया की बात आपको झूठी लगती है और आप उल्टा उसके परिवार के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लेते है.


यह पूरा मामला बस्ती जिले के गैर थाना क्षेत्र के बुढ़ापार गांव का है, जहां 8 अक्टूबर को समय करीब रात को करीब 11:30 बजे फरियादी की बेटी रंजनी घर में अकेली एक कमरे में सो रही थी. वह अपने पति के साथ दरवाजे के बरमदे में सो रही थी. घर के अन्दर का दरवाजा गर्मी की वजह से फरियादी बन्द नही करती थी, बेटी रंजनी को घर के अन्दर अकेला पाकर गांव के ही परमेश्वर घुस गया और उसकी बेटी के गले पर चाकू रख दिया और अपने हाथ से बेटी का मुँह बन्द कर दिया. परमेश्वर ने उसकी बेटी के साथ जबरदस्ती बलात्कार किया. समय करीब 12:30 बजे परमेश्वर घर के अन्दर से बाहर निकलने लगा तो दरवाजे पर तमाम गांव के कुत्ते भौकने लगे. फरियादी की आँख खुली तो देखा कि घर के अन्दर से गाँव का ही परमेश्वर बाहर निकल रहा है.


आरोपियों ने दी जान से मारने की धमकी
इसके बाद वह उठकर घर के अन्दर गई तो उसकी पुत्री रो रही थी और रो-रो कर बेहोश हो जा रही थी. होश आने पर बलात्कार की घटना को उससे बताया तब इस घटना की जानकारी वह अपने पति से बताई. पीड़ित की मां और उसका लड़का जब उलहना देने गई तो गाली गलौज देते हुए परमेश्वर और उसके परिजन एक राय होकर मार पीट दिया. पीड़ित की मां ने आरोप लगाया कि जाते-जाते विपक्षीगण कहे की अगर कही कानूनी कार्रवाई के लिए जाओगी तो तुम्हे जान से मार देंगे और तुम्हारी बेटी का अश्लील वीडियो वायरल भी कर देंगे.


इस मामले की शिकायत पीड़िता ने एसपी और एएसपी से मिलकर लिखित तौर पर कर चुकी है. मगर थानेदार न जाने किस दबाव में पीड़ित बेटी की शिकायत पर कोई एक्शन नहीं ले रहे. बलात्कार जैसे संगीन मामलों में जब पुलिस अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन नहीं करेगी तो अपराध का ग्राफ जाहिर सी बात है बढ़ेगा ही. क्योंकि पुलिसिया कार्रवाई न होने से अपराधियों के हौसले बुलंद होते है. बस्ती के गौर के एक गांव में हुई रेप की वारदात को लेकर थानेदार का रवैया बेहद ही निराशाजनक और लापरवाही पूर्ण है. इन आरोपों पर एएसपी ओपी सिंह से जब हमने पुलिस का पक्ष मांगा तो वे कैमरे पर साफ तौर पर कुछ भी बोलने से इनकार करते नजर आए.


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