लखनऊ. बसपा के बागी विधायक असलम राइनी ने मंगलवार को नया दल बनाने का ऐलान किया था. असलम ने कहा था कि 12 विधायकों के साथ होते ही वो अलग दल बना लेंगे. इसके लिए वो विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के साथ मुलाकात भी करेंगे. वहीं, असलम राइनी के अलग दल बनाने के दावे पर विधानसभा अध्यक्ष की प्रतिक्रिया सामने आई है.
बीएसपी के बागी विधायकों के अलग गुट बनाने के सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित का साफ तौर पर कहना है कि दल-बदल कानून के तहत एक तिहाई सदस्यों का अलग होना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि विधानसभा में सदन के भीतर नया गुट बनाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से प्रार्थना करनी पड़ती है. अगर एक तिहाई से ज्यादा विधायक एक साथ आते हैं तो अध्यक्ष इन्हें अलग गुट के तौर पर मान्यता देता है.
"चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन जरूरी"
उन्होंने आगे कहा कि अलग पार्टी बनाने के लिए चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. जिसमें पार्टी के संविधान समेत कई चीजें शामिल होती हैं. तकनीकी रूप से यह सभी सदन में बसपा के विधायक माने जाएंगे, भले ही यह पार्टी से निलंबित हैं. उनका कहना है कि इनकी सदस्यता रद्द हो सकती है अगर यह विधायक पार्टी की बात ना मानकर विधानसभा में वोट करते हैं. यानी अगर पार्टी कोई व्हिप जारी करती है और यह उसका उल्लंघन सदन के भीतर करते हैं.
विधानसभा अध्यक्ष ने ये भी कहा कि अगर कोई स्वेच्छा दल त्याग करता है तो उसकी सदस्यता चली जाएगी. उनका ये भी कहना है की अभी बसपा के किसी भी बागी विधायक ने उनसे संपर्क नहीं किया और ना ही उन्हें अलग गुट बनाने के लिए कोई प्रार्थना पत्र ही दिया है. वो यह भी कहते हैं कि कुछ समय पहले जरूर बसपा की तरफ से एक पत्र आया था जिसमें यह कहा गया था कि बसपा के नेता विधानमंडल दल लाल जी वर्मा को हटाकर पार्टी दूसरे विधायक को नेता बना रही है जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था.
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