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Kargil Vijay Diwas: गोंडा के वीर सपूत विजय कुमार ने सुनाई करगिल युद्ध की विजय गाथा
करगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों से लड़ते हुए विजय कुमार सिंह के पैर में गोली लगी थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया और उपचार के बाद उनका पैर छोटा हो गया. उन्होंने अपने अनुभव एबीपी गंगा से साझा किये.
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Kargil Hero Vjijay Kumar Singh From Gonda: देश आज करगिल विजय दिवस मना रहा है. कारगिल में ठीक 22 वर्ष पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कारगिल की चोटी पर भारत की विजय पताका फहराई थी. करगिल के इस युद्ध में जिले के बेलसर ब्लॉक के रहने वाले विजय कुमार सिंह ने भी अपना अहम योगदान दिया था. गोंडा के वीर सपूत ने इस युद्ध में लड़ते हुए 18 जुलाई 1999 में विजय सिंह को 5100 पहाड़ी पर युद्ध के दौरान इनको गोली लगी जिसके बाद इनके साथियों ने इनको द्रास सेक्टर में बने हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार के बाद हेलीकाप्टर श्रीनगर हॉस्पिटल पहुंचाया. पांच दिन उपचार के बाद जहाज से दिल्ली पहुंचा. इसके बाद विजय सिंह को जब होश आया तब तत्कालीन रक्षा मंत्री जाज फर्नांडीज आये और इनसे मिलकर इनका व और जवानों का हौसला बढ़ाया और बेहतर इलाज के बाद इनका पैर साढ़े सात सेंटीमीटर छोटा हो गया और इनकी जान बच गयी. एबीपी गंगा संवाददाता कृष्ण कुमार ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर विजय सिंह से खास बातचीत की और जाना कि, इन्होंने कारगिल की लड़ाई में किस तरह योगदान दिया. उन्होंने करगिल विजय गाथा सुनाई.
आज की सेना को पूरी आजादी है
उस समय का अनुभव बहुत अच्छा रहा और युद्ध होना भी जरूरी था और जो आज का अनुभव है, आज की सेना बहुत ही अलग है. विजय कुमार ने कहा कि, आज के समय में मोदी जी का आशीर्वाद है, इससे सेना आज आजाद है. आज दुश्मन को जवाब देने के लिए किसी अन्य से पूछने की जरूरत नहीं है. पहले मुंह तोड़ जवाब दो बाद में रिपोर्ट दो. आज की सेना बहुत अलग है, आज उनके पास पॉवर है और वह दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. जब मोदी जी की सरकार नहीं थी तो पहले ऐसा कुछ नहीं था. कांग्रेस की सरकार में सेनाओं का हाथ बंधा हुआ था.
इस तरह हुई घुसपैठ
विजय कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि, जब युद्ध हो रहा था उस समय हम बारामुला में थे. कुछ पाक सैनिक पीछे से घुसपैठ करके पहाड़ी पर आकर बैठ गए. उस समय वहां पर सेना की पेट्रोलिंग कम थी और उन्होंने वहां पर अपना पोस्ट बना लिया. बकरी चराने वालों से पता चला तो वहां पर दुश्मन काफी मजबूती में बैठ चुका था. लेकिन जब हम लोग वहां पर युद्ध करने के लिए गए तो दुश्मन ने काफी युद्ध का सामान इकट्ठा कर लिए था.
बताया अनुभव
गोला बारूद सहित अन्य सामान उनके पास था. उसमें उग्रवादी के अलावा पाकिस्तानी सेना के लोग भी थे और पाकिस्तान के अन्य लोग भी थे. जब वहां के लोगों को कैप्चर किया गया तो उन लोगों ने कई राज कबूले. 5100 एक पहाड़ी पर जहां पर हम लोगों द्वारा आक्रमण किया जाना था, वहां पर एक पत्थर गिर गया और पत्थर गिरने से दुश्मन चौकन्ना हो गा. अटैक के दो मिनट पहले हम उनके पोस्ट पर पहुंचना था इससे पहले उन्होंने फायर झोंक दी उसी लड़ाई में मेरे पैर में गोली लगी थी.
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