Vijayadashami 2023: आज मंगलवार को विजयादशमी यानी दशहरा ( Dussehra 2023) धूमधाम से मनाया जा रहा है. दशहरा पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. अलग-अलग राज्यों में रामलीला का भी मंचन हो रहा है. सूरज ढलने के बाद आतिशबाज़ी का दौर शुरू हो जाएगा. अहंकारी रावण का पुतला दहन होगा. साथ में मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों को भी स्वाहा किया जाएगा. रावण दहन के लिए रामलीला मैदान में बड़े-बड़े पुतले बनाए गए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं विजयादशमी के दिन सुबह-सुबह रावण की पूजा होती है.


कानपुर में रावण के मंदिर का जानें इतिहास


कानपुर में विजयादशमी की सुबह रावण को पूजने की परंपरा है. रावण मंदिर में परंपरा का निर्वहन आज भी बड़े उत्साह से किया जाता है. महानगर के बीचो-बीच कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर है. कहा जाता है कि 1868 में रावण के मंदिर का निर्माण महाराज गुरु प्रसाद ने किया था. हर साल की तरह आज भी सुबह-सुबह रावण मंदिर के पट खोले गए. रावण के मंदिर को साल भर में एक बार खोला जाता है. दशहरे के दिन रावण की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है.


साल में एक बार दशहरे पर खुलता है कपाट


श्रद्धालुओं का तर्क है कि रावण विद्वान और पराक्रमी था. उसे दसो महाविद्या का पंडित भी कहा जाता है. इसलिए उसकी विद्वता और पराक्रम के गुणों की पूजा अर्चना की जाती है. पुजारी राम बाजपेई बताते हैं कि आज के दिन बुरे स्वरूप की वजह से रावण का पुतला किया जाता है, लेकिन उसकी अच्छाइयों की ओर किसी की भी निगाह नहीं जाती. रावण की मृत्यु के समय मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने लक्ष्मण से कहा था कि, "जाओ विश्व के महान पंडित का आशीर्वाद लो, उनके चरण स्पर्श कर ज्ञान लो". भगवान राम ने शत्रु के प्रति भी आदर दिखाया था. भगवान राम ने रावण के दुर्गुणों की वजह से वध किया लेकिन साथ में उसकी विद्वता का भी मान रखा था. उसी परंपरा का निर्वहन आज कानपुर के श्रद्धालु करते हैं. 


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