Vikas Dubey Encounter FIR से उठ रहे सवाल, झांसी से कानपुर तक सफारी में ही दिखा विकास, अचानक टीयूवी कहां से आई?
कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में दर्ज एफआईआर की कई बातें इस ऑपरेशन पर सवाल उठा रही हैं. एसटीएफ ने दावा किया कि सुरक्षा के लिहाज से विकास को बदल बदल कर गाड़ियों में बैठाया जा रहा था, अब सवाल ये है कि विकास सफारी में ही क्यों दिखा, टीयूवी कब बदली गई, FIR में इसका जिक्र क्यों नहीं है
लखनऊ. (संतोष कुमार). कानपुर में विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की पुलिस थ्योरी पर लगातार सवाल खड़े होते जा रहे हैं. विकास दुबे की गाड़ी को लेकर खड़े हुए सवाल मुठभेड़ की एफआइआर में भी बरकरार हैं. दर्ज एफआइआर विकास दुबे को सुरक्षा के लिए गाड़ी बदलने की बात तो बता रहा है लेकिन कानपुर में कहां विकास दुबे की गाड़ी बदली यह एफआईआर में तक गायब है.
कानपुर तक दिखा सफारी में..फिर कहां से आई टीयूवी
आठ पुलिसकर्मियों की शहादत का यूपी पुलिस ने विकास दुबे के एनकाउंटर से बदला ले लिया. विकास दुबे के एनकाउंटर पर खड़े हुए सवाल और उन सवालों को लेकर अफसरों की चुप्पी लगातार पुलिसिया कार्रवाई को कटघरे में खड़ा कर रही है. विकास दुबे एनकाउंटर की थ्योरी भी अन्य एनकाउंटर की तरह ही पुरानी रटी रटाई कहानियों की तरह बन गई है. उज्जैन से लेकर कानपुर तक मीडिया के कैमरों में विकास दुबे यूपी एसटीएफ और कानपुर पुलिस की गाड़ियों के काफिले में सफारी में दिखाई पड़ता रहा. लेकिन कानपुर में जैसे ही काफिला सचेंडी थाना क्षेत्र में पहुंचता है, टीयूवी गाड़ी पलट गई. पुलिस दावा करती है कि विकास दुबे ने भागने की कोशिश की, इंस्पेक्टर की पिस्टल छीनकर फायर किया और यूपी एसटीएफ ने मार गिराया. सवाल खड़ा हुआ कि आखिर विकास दुबे की गाड़ी कब और कहां बदल गई, इस सवाल का जवाब उत्तर प्रदेश पुलिस के किसी भी अधिकारी ने नहीं दिया.
मीडिया को जवाब नहीं दिया, लेकिन पुलिस ने f.i.r. में भी नहीं बताया कि गाड़ी कब कहां और क्यों बदली गई. सचेंडी थाना क्षेत्र में मुठभेड़ की दर्ज एफआइआर में पुलिस ने साफ लिखा कि विकास दुबे के उज्जैन में सरेंडर करने के बाद ग्वालियर में पहले से मौजूद यूपी एसटीएफ की टीम, डिप्टी एसपी टीबी सिंह के साथ उज्जैन चली गई, दूसरी टीम सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह की अगुवाई में एसटीएफ मुख्यालय लखनऊ से उज्जैन भेजी गई और तीसरी टीम कानपुर पुलिस की, मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की अगुवाई में भेजी गई. तीन टीमें विकास दुबे को लाने के लिए उज्जैन रवाना की गई. एसटीएफ की दोनों टीम उज्जैन पहुंच गई, कानपुर की टीम टीयूवी गाड़ी से गुना पहुंचती है, वहीं रास्ते में यूपी एसटीएफ विकास दुबे को कानपुर पुलिस के हवाले कर देती है. कानपुर पुलिस विकास दुबे को अपनी टीयूवी गाड़ी में बैठाकर रवाना हो जाती है, यानी साफ है कि गुना में ही विकास दुबे को कानपुर पुलिस की टीयूवी गाड़ी में बैठा दिया गया था, यही वह गाड़ी थी जो कानपुर के सचेंडी में अचानक भैंसों के झुंड के आने से पलट गई थी.
पुलिस की थ्योरी पर उठ रहे हैं सवाल
लेकिन पुलिस की इसी थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए कि जब विकास दुबे को गुना में टीयूवी गाड़ी में बैठाया गया था तो फिर झांसी में, जालौन में, कानपुर देहात में कैसे वह सफारी गाड़ी में बैठा दिखाई पड़ता रहा. वहीं दूसरी ओर कानपुर की सरहद में भी विकास दुबे सफारी गाड़ी में दिखाई पड़ता है तो फिर आखिर ऐसी कौन सी जरूरत पड़ी और कहां पर विकास दुबे को सफारी से टीयूवी में बैठाया गया और जो सचेंडी थाना क्षेत्र में जाकर पलट गई.
आठ पुलिसकर्मियों की शहादत के मुद्दे पर भावनाओं के सहारे भले ही पुलिस विकास दुबे के एनकाउंटर को जायज बता कर वाहवाही लूट रही हो लेकिन कानूनी दस्तावेजों में पुलिस की थ्योरी कि यह कमियां ट्रायल के दौरान मुश्किल जरूर खड़ी करेंगी.
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