सीतापुर: शनिवार को नेपाल से बैराजों में करीब 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने का खौफ सीतापुर में देखा जाने लगा है. कहते हैं कि इंसान की जिन्दगी बीत जाती है एक आशियाना बनाने में, लेकिन सीतापुर के बाढ़ और कटान प्रभावित इलाके के बासिंदों की बेबसी देखिये कि उन्हें अपने ही हाथों से आशियाने को तोडना पड़ रहा है. वह अपना यह आशियाना विकराल होती सरयू नदी के खौफ में तोड रहे हैं. सीतापुर के कई इलाकों में सरयू कटान कर रही है तो कुछ इलाकों में उफनाने लगी है. लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर होने लगे हैं.
समय से पूरी नहीं हो पा रही हैं परियोजनाएं
यह हाल तब है जब यूपी सरकार ने 63 करोड़ से ज्यादा की 8 परियोजनाएं कटान रोकने की दिशा में चला रखी हैं. जल शक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह के निर्देशों के बावजूद समय रहते परियोजनाएं पूरी हो पाना असंभव सा होता जा रहा है. कारण नेपाल से छोड़े जा रहे पानी से सरयू का जलस्तर बढ़ता जा रहा है और परियोजनाओं का काम रूकता जा रहा है.
60 फीसदी काम अभी भी बचा है
सीतापुर की तीन तहसीलों महमूदाबाद, बिसवां और लहरपुर की लाखों की आबादी हर साल बाढ़ और कटान का दंश झेलने को मजबूर होती है. इस साल भी कोरोना काल में देर से परियोजनाएं शुरू होने के चलते अभी तक 60 प्रतिशत काम पूरा नहीं हो सका है. इन परियोजनाओं के चलते स्टड का काम कराकर गांव को कटान से बचाना है, लेकिन गांवों के घर कटने शुरू हो गये हैं. तहसील बिसवां के गांव परमेश्वरपुरवा में 4 घर और फौजदारपुरवा में 2 मकान कट चुके हैं. गांव से नदी महज 20 मीटर दूर रह गई है. सरयू का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है हालांकि खतरे के निशान से अभी 70 सेंटीमीटर दूर है.
आला अधिकारी लगातार कर रहे हैं निरिक्षण
यह हाल तब है, जब 23 मई को इन परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण करने जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह सीतापुर पहुंचे थे और उन्होंने तमाम निर्देश दिये थे. यही नहीं, सिंचाई विभाग की विशेष सचिव अनीता वर्मा 29 मई को परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण कर चुकी हैं. जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज लगातार निरीक्षण कर रहे हैं.
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