बलिया. यूपी के बलिया में गंगा नदी में आई बाढ़ के पानी का स्तर भले ही कम हो रहा है, लेकिन गंगा नदी का विनाशकारी रूप तटवर्ती गांवों के लिए कहर बन गया है. यहां नदी ने कटान शुरू कर लोगों की खेती की जमीनों को निगलना शुरू कर दिया है. जहां कटान से पीड़ित लोग अब डीएम द्वारा तीन किलोमीटर पर ही स्थित अपने गांव में चौपाल लगाने और ग्रामीणों की परेशानियों से रुबरु होने को लेकर अपने गांव तक नहीं आने और पीड़ा नहीं जानने और देखने को लेकर अनदेखी करने का आरोप लगाया है.
जिलाधिकारी पर अनदेखी का आरोप
आपको बता दें कि जिलाधिकारी ने बुधवार को ही गंगा नदी के तटवर्ती गांव नौरंगा में चौपाल लगा कर ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू हुये थे. जिसे लेकर बगल के ही तटवर्ती गांव चक्की नौरंगा जहां नदी का कटान तेजी से हो रहा है, वहां डीएम झांकने तक नहीं गये. वहीं, डीएम का कहना है कि अभी आबादी प्रभावित नहीं है, एग्रीकल्चरल लैंड को प्रभावित जरूर कर रहा है. कटान हो रहा है तो इसके लिए तहसील द्वारा सर्वे कराया जा रहा है और जो भी मुआवजा का प्रावधान है या सरकार की तरफ जो भी अनुमन्य योजनाएं है उसका लाभ दिलाया जाएगा.
चक्की नौरंगा गांव सबसे ज्यादा प्रभावित
चक्की नौरंगा गांव में खेती की जमीन तेजी से कटान का शिकार हो रही है. गंगा नदी के घटते जल स्तर और बैक रोल की वजह से तेजी से कटान हो रहा है और तटवर्ती किसान जिनकी रोजी रोटी का जरिया खेती ही है, इन कटती हुए जमीनों के गंगा नदी की धाराओं में बैठता देख इनका भी कलेजा बैठा जा रहा है. मगर प्रशासन का कोई अधिकारी इनका दर्द जानने इनके गांव नहीं पहुंचा है. इनका दर्द तब और बढ़ गया जब इनके गांव से तीन किलोमीटर की दूरी पर नौरंगा गांव में डीएम साहब कल ग्रामीणों का दर्द जानने के लिए तटवर्ती गांव में पहुंच गए. मगर बगल के चक्की नौरंगा गांव में कटान पीड़ितों का दर्द जानने तक की जहमत डीएम साहब ने नहीं उठाई. इसे लेकर गांव के पीड़ित ग्रामीणों में आक्रोश है और गांव वाले डीएम पर अपनी अनदेखी का आरोप भी लगा रहे हैं.
डीएम का बयान
वहीं, डीएम की माने तो जहां कटान हो रहा है, हमने निरीक्षण किया है और देखा है. अभी आबादी प्रभावित नहीं है. खेतिहर जमीन को प्रभावित जरूर कर रहा है, कटान हो रहा है तो इसके लिए तहसील द्वारा सर्वे कराया जा रहा है, प्रशासन की तरफ से उचित मुआवजा दिलाया जाएगा.
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