Rudraprayag:  रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से पांच किमी की दूरी पर नरकोटा रेल परियोजना का कार्य कर रही कंपनी की गलतियों के चलते अब परियोजना प्रभावित गांवों में जनाक्रोश पैदा होने लगा है. जिन प्रभावित परिवारों ने अपनी जमीन, होटल, दुकानें रेल परियोजना में दी, उन्हीं को रोजगार के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.  

 

नरकोटा रेल परियोजना से भड़के ग्रामीण

जिला मुख्यालय के नजदीकी ग्राम पंचायत नरकोटा में अस्सी फीसदी परिवार रेलवे से बेरोजगार हुए हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति ये है कि कंपनी के अधिकारी बाहरी लोगों को रोजगार दे रहे हैं. इसको लेकर नरकोटा के ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और उन्होंने कंपनियों के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं ग्रामीणों ने केन्द्रीय रेल मंत्री एवं मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर ठोस कार्रवाई की मांग की है. ग्राम पंचायत समिति ने ज्ञापन में कहा कि गांव में रेल परियोजना से लगभग अस्सी परिवार ऐसे हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं. गांव की आजीविका और आर्थिकी का साधन नरकोटा बाजार था, लेकिन आज रेल परियोजना निर्माण से बाजार तहस-नहस हो गया है. 

 

ग्रामीणों ने कंपनी पर लगाया गंभीर आरोप

 

ग्रामीणों ने कहा कि मौजूदा समय में आरबीएनएल के अंतर्गत कार्य कर रही मेघा कंपनी ने तीस के मुकाबले सिर्फ तेरह से चैदह युवकों को रोजगार दिया है और अधिकांश को हेल्पर में तैनाती दी गई है. ग्रामीणों की मांग है कि कंपनी को 80 फीसद बेरोजगारों को रोजगार देना चाहिए बल्कि वो बाहरी युवाओं को मौका दे रहे हैं. ये ग्रामीणों के साथ अन्याय है और नियम के खिलाफ है. काम की वजह से गांव के रास्ते टूट गए हैं. मकानों में दरारें आ गई हैं. सिंचाई नहर भी क्षतिग्रस्त हो गई है. प्रदूषण इतना है कि बीमारियों का खतरा पैदा हो गया है. हर तरफ ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, लेकिन रोजगार बाहरी लोगों को दिया जा रहा है.

आंदोलन करने की धमकी दी


ग्राम पंचायत समिति के सदस्य संदीप प्रसाद भटकोटी ने कहा कि आगामी रविवार को गांव की बैठक आयोजित होगी और उसमें आंदोलन के लिए बडे़ निर्णय लिए जाएंगे. अगर कंपनी ग्रामीणों को पूर्ण सहयोग नहीं करती है तो गांव की हर संपत्ति, जिनका फायदा कंपनियों को मिल रहा है उसे बंद कर दिया जाएगा. ग्रामीणों ने कई बार मौखिक और लिखित रूप से कंपनी से बात करने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.