Jewar International Airport: नॉएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जिन गांव वालों से जमीन लिया जा रहा है और उन्हें इसके बदले विस्थापित किया जा रहा है. गांव वालों को इस विस्थापन को लेकर काफी गुस्सा है. इसे लेकर गांव के लोग महापंचायत बुला कर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. दूसरे फेज के लिए जिन 6 गांव से किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है. उनमें से सबसे ज्यादा रनबेरा गांव के किसानों की जमीनें हैं और इसके बदले उन्हें फलेदा गांव में बसाया जा रहा है. जो वहां से 30 किलोमीटर दूर स्थित है, जबकि उनकी मांग है कि उन्हें गांव के पास ही स्थित मोडलपुर गांव में बसाया जाए.
किसानों की इस मांग के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन के सदस्य भी आज खड़े नजर आ रहे हैं. उनकी इस मांग को सही ठहराते हुए भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर स्वराज ने कहा कि उन्हें और गांव वालों को खुशी है कि जेवर में नॉएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने जा रहा है और इसके लिए किसानों ने सहर्ष अपनी जमीनें दी हैं, लेकिन पहले फेज में जिन किसानों की जमीन ली गई है, उनमे से कइयों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है, तो कई लोगों को अभी तक सही तरीके से पुनर्वसित नहीं किया जा सका है. जिसे देखते हुए दूसरे फेज में जिन किसानों को पुनर्वासन का डर सता रहा है. इसके अलावा प्रशासन इन्हें जिस जगह बसाना चाह रही है, वह उनके गांव से काफी दूर है.
एक भी युवा को नहीं मिला रोजगार
किसानों का कहना है कि सरकार को जिस तरह से किसानों ने खुशी खुशी अपनी जमीनें दी है, उसी तरह सरकार को भी उनकी मर्जी के अनुसार कंपनियां बनाकर उन्हें बसाना चाहिए. जो फलेदा गांव में रहना चाहते हैं उन्हें वहां बसा दें और जो मॉडलपुर गांव में बसना चाहते हैं उनके लिए वहां व्यवस्था की जाए. उन्होंने बताया इससे पहले यमुना विकास प्राधिकरण ने किसानों से जमीनों का अधिग्रहण किया था. जिसके बदले गांव के युवाओं को मुआवजे के अलावा नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन एक भी युवा को रोजगार नहीं दिया गया. उनकी मांग है की सरकार किसानों की पुनर्वसन की मांग के अलावा उन्हें उनके जमीनों की उचित मुआब्जे के साथ गांव के युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराए. जिससे गांव की तरक्की के साथ-साथ यहां रहने वाले लोगों का भी विकास हो सके.
Delhi News: रोहिणी सेक्टर-24 के DPS की मान्यता रद्द, जानें दिल्ली सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?