बाराबंकी: लापरवाही के चलते हुई 6 महीने की बच्ची की मौत, पिता ने स्वास्थ्य कर्मियों पर लगाए गंभीर आरोप
यूपी के बाराबंकी जिले में लापरवाही के चलते 6 माहीने की मासूम बच्ची की मौत हो गई. बच्ची के पिता संदीप शुक्ला हॉस्पिटल में बच्ची को गोद में लेकर रोते बिलखते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. मामले में अब भाजपा के पूर्व विधायक सुंदर लाल दीक्षित ने ग्रामीणों के साथ गांव में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में डॉक्टरों की गैरमौजूदगी में इलाज ना मिल पाने की वजह से हुई 6 माहीने की बच्ची की मौत का मामला गर्माता जा रहा है. मामले में अब भाजपा के पूर्व विधायक सुन्दर लाल दीक्षित ग्रामीणों के साथ गांव ताशीपुर में स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. वहीं, मामले में मौजूदा भाजपा विधायक शरद अवस्थी भी लोगों का आक्रोश देखकर गांव पहुचें जहा उन्होंने पूर्व भाजपा विधायक और ग्रामीणों से ज्ञापन लिया है. उधर डीएम डॉ आदर्श सिंह के निर्देश पर मृतक बच्ची के गांव उपजिलाधिकारी सिरौलीगौसपुर सुरेंद्र पाल विश्वकर्मा पहुंचे और पीड़ित परिवार के पक्षों का बयान दर्ज कर निष्पक्ष जांच की बात कही है.
हॉस्पिटल में किसी ने नहीं सुनी
मामला संयुक्त चिकित्सालय का है जहां 30 मई को डाक्टरों की गैरमैजूदगी में बड़ी लापरवाही देखने को मिली. हॉस्पिटल में डॉक्टरों की गैरमौजूदगी के चलते 6 माहीने की मासूम बच्ची की मौत हो गई. बच्ची के पिता संदीप शुक्ला हॉस्पिटल में बच्ची को गोद में लेकर रोते बिलखते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. मामले में अब भाजपा के पूर्व विधायक सुंदर लाल दीक्षित ने ग्रामीणों के साथ गांव में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करवाएंगे
लेकिन, इस बीच मौजूदा विधायक शरद अवस्थी ने गांव वालों का ज्ञापन लिया है. वहीं, पूर्व विधायक सुंदर लाल दीक्षित का कहना है की वो मुख्यमंत्री से मिलकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करवाएंगे. बच्ची के पिता का आरोप है कि सोते समय करवट बदलते समय उसकी बिटिया तख्त से गिर गई थी. वो हॉस्पिटल में ढाई घंटे तक डाक्टरों के लिए चीखते चिल्लाते रहे लेकिन कोई भी स्वास्थ्य कर्मी ने उनकी बच्ची को देखा तक नहीं, हॉस्पिटल में कोई नही था.
सफाई देते नजर आ रहे हैं सीएमओ
बाराबंकी के सीएमओ डॉ बीकेएस चौहान मामले पर सफाई देते नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि हॉस्पिटल के डाक्टरों ने बच्ची को देखा था वो छत से गिरी थी, बच्ची पहले से मर चुकी थी. वहीं पिता तख्त से गिरने की बात कह रहे हैं. पिता संदीप शुक्ला का कहना है कि जब वो हॉस्पिटल गए तो कोई जिम्मेदार डॉक्टर या स्टाफ नहीं था. हॉस्पिटल में ही दौड़ते दौड़ते ढाई घंटे गुजर गए. इस बीच प्रशासन की ओर से कार्रवाई के आश्वासन पर लोगों ने धरना समाप्त कर दिया है. मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उपजिलाधिकारी सिरौलीगौसपुर सुरेंद्र पाल विश्वकर्मा गांव पहुंचे और पीड़ित पक्षों का बयान दर्ज किए.
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