मथुरा, एजेंसी। उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के एक थाने में आत्मदाह का प्रयास करने वाले दंपति में से पत्नी का शव दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से शनिवार को दोपहर बाद यहां पहुंचने के बाद गांव वालों ने शव को अंतिम संस्कार के लिए दो घंटे तक नहीं उठने दिया। उनका कहना था कि ये मौत पुलिस की निष्क्रियता के चलते हुई हैं और इसलिए असमय मौत के घाट उतरे दंपति के आश्रित पुत्र को 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, जमीन का पट्टा और सरकारी नौकरी दी जाए।


उल्लेखनीय है कि मथुरा के थाना सुरीर कोतवाली में 28 अगस्त को पति जोगेंद्र के साथ खुद को आग लगाने वाली चंद्रवती की शुक्रवार देर रात दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। इससे पांच दिन पूर्व उसी अस्पताल में उसके पति ने भी दम तोड़ दिया था। दोनों ने पड़ोस में विवाद और मारपीट के बाद प्रशासन में सुनवाई नहीं होने के चलते निराश होकर आत्मदाह कर लिया। शनिवार दोपहर को जब चंद्रवती का शव गांव में पहुंचा लोग भड़क गए। अब उनके परिवार में पुत्र जगदीश ही जिंदा बचा है।



गांव वालों का कहना था कि यदि पुलिस ने जोगेंद्र की शिकायत पर ध्यान देकर उसका निवारण करने का प्रयास किया होता तो ऐसा न हो पाता। मौके पर पहुंचे एडीएम वित्त ब्रजेश कुमार ने आश्वासन दिया कि जमीन का पट्टा दे दिया जाएगा व आर्थिक मदद भी की जाएगी। सरकारी नौकरी के लिए शासन स्तर पर प्रतिवेदन भेजा जाएगा। इस पर लोग शांत हो गए और सवा पांच बजे शव को उठाया जा सका।