सिंचाईं विभाग की लापरवाही से गांव पर बाढ़ का खतरा, मानक ताक पर रख बनाये गये तटबंध
सहारनपुर में गांवों को बाढ़ से बचाने के लिये बनाये गये तटबंधों के निर्माण में घोर लापरवाही बरती गई है. गांव वालों ने ठेकेदार व अधिकारियों पर अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाया है.
Negligence of Irrigation Department in Saharanpur: सहारनपुर में सिंचाईं विभाग ने सैकड़ों लोगों की ज़िंदगी को दांव पर लगा दिया है. अधिकारियों व ठेकेदार की लापरवाही से बाढ़ के मुहाने पर गांव पहुंच गया है. सिंचाईं विभाग द्वारा सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का मामला सामने आया है. गांव को बाढ़ से बचाने के लिए बनाई जा रही पैचिंग में अनियमितता बरते जाने से गांव को बाढ़ का खतरा सताने लगा है. मामले को लेकर ग्रामीणों में रोष बना हुआ है. हालांकि विधायक नरेश सैनी भी अनियमितताओं को लेकर नाराज़गी जाहिर कर चुके हैं.
तटबंध बनाने में भारी अनियमितता
आपको बता दें कि, तहसील बेहट के गांव हीराहेड़ी के पास से गुजर रही बरसाती नदी मसखरा में सिंचाईं विभाग द्वारा गांव व किसानों के खेतों को बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए तटबंध बनाए जा रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि, सिंचाईं विभाग में ठेकेदार द्वारा तटबंध बनाने में भारी अनियमितता बरती जा रही है. ग्रामीणों का आरोप है कि, तटबंध में मानकों की अनदेखी कर छोटे छोटे पत्थर लगाए जा रहे हैं और पैचिंग के बीच में पत्थरों के बजाय रेत भरकर कट्टे रखे गए हैं, जिससे बरसात के समय में नदी में पानी आने से तटबंध क्षतिग्रस्त हो सकता है और साथ ही गांव को बाढ़ का खतरा बन सकता है.
मौके पर पहुंचे विधायक
ग्रामीणों की शिकायत पर बेहट विधायक नरेश सैनी मौके पर पहुंचे और उन्होंने तटबंध से पत्थर हटवा कर देखे तो उसमें रेत से भरे कट्टे रखे मिले. मामला सोशल मीडिया पर फैला तो आनन फानन में सिंचाईं विभाग के जेई व ठेकेदार मौके पर पहुंचे और तटबंध के पत्थरों को हटा जहां-जहां रेत भरे कट्टे रखे हुए थे उनको निकलवा लिया. अब सवाल यह उठता है कि सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले सिंचाईं विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ आला अफसर और सरकार क्या कार्रवाई करती है.
जेई बचकर निकले
इस दौरान तटबन्ध के बीच से रेत के कट्टे निकलवा रहे सिंचाईं विभाग के जेई एसके शर्मा से बात करनी चाही तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और कैमरा देख अपनी बाइक पर बैठकर वहां से निकल लिए. ऐसे में सवाल उठता है कि, जब विभागीय अधिकारी व कर्मचारी ही ऐसे मामले में शामिल होंगे तो किससे कार्रवाई की उम्मीद की जाए.
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