संतकबीरनगर: जिले के धनघटा तहसील क्षेत्र की प्रमुख नदियों में से एक घाघरा नदी अपने उफान पर है. नदी के बढ़े जलस्तर की जद में आये दर्जनों गांव पूरी तरह से मैरुंड हो चुके है. मैरुंड हो चुके गांवों की बिजली काट दी गई है. बिजली काटे जाने से सभी बाढ़ प्रभावित गांव अंधेरे में डूबे हुए है.


ऐसे मुश्किल हालात में बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों को आवश्यक राहत सामग्री के साथ मिट्टी का तेल उपलब्ध कराने का प्रशासनिक दावा उस वक्त फेल होता नजर आया जब हमारी टीम बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंची. उन ग्रामीणों से बातचीत की जो बाढ़ प्रभावित गांवो के रहने वाले हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.


सरकारी सहायता के रूप में सड़ा खाद्य सामग्री पाने वाले बाढ़ पीड़ितों में स्थानीय प्रशासन के खिलाफ गुस्सा है, ग्रामीणों के मुताबिक बिजली काट दी गई है. रोशनी के लिए और खाना पकाने के लिए मिट्टी का तेल अबतक नही मिला, ना प्लास्टिक की पन्नी मिली और ना ही कोई अन्य सरकारी सहायता. ऐसे में बाढ़ से परेशान तमाम ग्रामीण खुद की और परिवार की जिंदगी बचाने के लिए अपने घरों को छोड़ बन्धो पर शरण लिए हुए है.


बाढ़ ग्रस्त इलाकों कटहा, गुनवतिया, ढोलवजा, गायघाट, सियर कला, सरैया, खड़गपुर,चकदहा, दौलतपुर आदि समेत दर्जनों गांव के ग्रामीण लगातार हो रही कटान को देख डरे सहमे है. वे अपने घरों को छोड़ रिश्तेदारों के घर और बन्धो पर रहकर गुजारा कर रहे है. ग्रामीणों के मुताबिक उनके जानवर भी भूखे मर रहे है क्योंकि प्रशासन ने जानवरों के चारे के लिए भी कोई व्यवस्था नही कराई है.


पूरे मामले पर एडीएम संजय कुमार पांडेय ने बताया कि घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है. पहले बाढ़ से 22 गांव प्रभावित थे जिनमे कुछ गांव और बाढ़ से प्रभावित हुए है. प्रभावित गांव के लोगों को मदद पहुंचाई जा रही है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में नाव की सुविधा के साथ मेडिकल कैम्प भी लगाए गए हैं. इसके साथ ही साथ लोगों में राशन किट और तिरपाल बंटवाया जा रहा है.


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